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महाभारत के प्रमुख पात्रों में शुमार महात्मा विदुर महान नीतिज्ञ, विवेकवान और बुद्धिमान होने के साथ ही दूर दर्शी और सत्यवादी भी थे। महाभारत युद्ध से पहले महात्मा विदुर और महाराजा धृतराष्ट्र के बीच हुए वार्तालाप का संकलन ही विदुर नीति (Vidur Niti) है। इसमें कूटनीति, युद्धनीति से लेकर राजनीति का भी बारीकी से उल्लेख किया गया है। उनकी ये बातें आज भी प्रासंगिक है। विदुर की इन नीतियों को जीवन में उतारने वाले को कभी भी असफलता और हार का सामना नहीं करना पड़ा है। आइये जानते हैं क्या कहते हैं विदुर…

विदुर नीति (Vidur Niti) में कहा गया है कि व्यक्ति को काम, क्रोध और लालच का त्याग कर देना चाहिए। वे कहते हैं जिस व्यक्ति में ये तीनों अवगुण होते हैं, उसके अंदर की आत्मा मर जाती है। इन तीन अवगुणों को आत्मा का नाश करने वाला नर्क के 3 द्वार कहा गया है।

वे कहते हैं कि इंसान को कभी गलत काम नहीं करना चाहिए। उनका कहना है कि गलत काम तो वह अकेले करता है लेकिन उसका आनंद घर के सभी लोग उठाते हैं, लेकिन उस पाप का भागीदार वह अकेले ही होता है। (Vidur Niti)

नींद, डर, क्रोध, आलस्य और दीर्घसूत्रता ये मनुष्य की ऐसी बुराइयां हैं, जो व्यक्ति को कभी भी सफल नहीं होने देती हैं। विदुर कहते हैं कि सफलता अर्जित करनी है तो मनुष्य को इन बुराइयों को तुरंत छोड़ देना चाहिए। (Vidur Niti)

ईर्ष्या करने वाले, असंतुष्ट रहने वाले, क्रोध करने वाले, सदा शंका करने वाले और दूसरों के भाग्य पर जीने वाले लोग जीवन में कभी भी सुख नहीं पाते हैं।

महात्मा विदुर कहते हैं कि जो लोग लाख मुसीबत आने पर भी दुखी नहीं होते हैं और धैर्यवां बने रहते हैं, उन्हें कभी भी असफलता का सामना नहीं करना पड़ता है और न ही शत्रु उन्हें पराजित नहीं कर सकता है। (Vidur Niti)

विदुर नीति (Vidur Niti) में कहा गया है कि जो लोग भरोसेमंद नहीं हैं, उन पर कभी भी विश्वास न करें, लेकिन जो लोग विश्वसनीय हैं, उन पर भी बहुत अधिक भरोसा नहीं करना चाहिए।

उनका कहना है कि किसी धनुर्धर द्वारा छोड़ा गया बाण किसी की जान ले भी सकता है और नहीं भी, लेकिन बुद्धिमान व्यक्ति द्वारा बोली गए शब्द और बुद्धि राजा के साथ –साथ राष्ट्र का विनाश कर करने में सक्षम होती है।

विदुर ने अपनी नीतियों में कहा है कि पांच सुख -धन लाभ, अच्छा स्वास्थ्य, आज्ञाकारी संतान, श्रेष्ठ जीवन साथी और इच्छाएं पूरी करने वाली विद्या जिनके पास हैं, वे ही सबसे सुखी होते हैं। (Vidur Niti)

क्षमा कमजोर का गुण और शक्तिशाली का आभूषण है। वे कहते हैं कि जो लोग क्षमा को दोष मानते हैं वे लोग हमेशा दुखी रहते हैं। (Vidur Niti)

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