23 साल से एक ही जिले में तैनात भ्रष्ट इंजीनियर की आयोग में कौन कर रहा मदद, पैनल मिलने के बाद भी अबतक कोई कार्रवाई नहीं!

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लखनऊ।। एक विशेष दल को लाभ पहुंचाने में जुटे ग्रामीण अभियंत्रण महकमे के भ्रष्ट अधिशासी अभियंता शिवशंकर उपाध्याय के रसूख के सामने निर्वाचन आयोग भी बेबस नजर आ रहा है। 23 साल से सिद्धार्थनगर में ही तैनात इस इंजीनियर को हटाने में महकमे के बड़े-बड़े अफसरों समेत शासन के उच्चाधिकारियों के भी पसीने छूटने लगते हैं। जबकि नियम है कि तीन साल से ज्यादा एक ही जिले में तैनाती नहीं पाई जा सकती। आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद उनके खिलाफ प्रत्याशी जगदम्बिका पाल ने एक विशेष दल के पक्ष में वोटरों को लुभाने की शिकायत निर्वाचन आयोग से की। पर उसका भी कोई खास असर होता नहीं दिख रहा है। 12 मई को जनपद में चुनाव है। पर अब तक आयोग इस इंजीनियर को टस से मस नहीं कर सका है। इससे प्रदेश में प्रशासन और आयोग की कार्यप्रणाली को समझा जा सकता है। यह तो बानगी भर है।

हालांकि जगदम्बिका पाल की शिकायत पर निर्वाचन आयोग ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी सिद्धार्थनगर से इस बाबत रिपोर्ट तलब कर ली थी। पर जिला निर्वाचन अधिकारी ने यह रिपोर्ट आयोग को देने में हीला हवाली की। जानकारों के मुताबिक जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भी अपने स्तर पर इस रिपोर्ट को रूकवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पर रिमाइंडर के बाद आखिरकार जिला प्रशासन को रिपोर्ट भेजनी पड़ी। जिसका संज्ञान लेते हुए निर्वाचन आयोग ने ग्रामीण अभियंत्रण महकमे से इंजीनियर की जगह तैनाती के लिए तीन अन्य इंजीनियरों के नाम का पैनल मांगा।

महकमे ने यहां भी इंजीनियर को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पर मजबूरन उन्हें रिपोर्ट आयोग को भेजनी पड़ी। इंजीनियरों के नाम का पैनल आयोग के समक्ष पहुंचा तो लगा कि वर्षों से अपने गृह मंडल में तैनात भ्रष्ट इंजीनियर शिवशंकर उपाध्याय पर कार्रवाई होगी। पर यह उम्मीद भी ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकी। छठे चरण में 12 मई को सिद्धार्थनगर में चुनाव है। पर अब तक यह इंजीनियर जनपद में ही तैनात है। पाल के समर्थकों का कहना है कि यह इंजीनियर लगातार एक विशेष दल के प्रत्याशी को लाभ पहुंचाने के लिए काम कर रहा है। पर शिकायत के बावजूद इस इंजीनियर पर अब तक कार्रवाई नहीं हो सकी है।

विभागीय जानकारों का कहना है कि अधिशासी अभियंता शिवशंकर उपाध्याय की गिनती विभागीय मंत्री के खासमखास अफसरों में होती है। जिसकी वजह से शासन के उच्चाधिकारियों ने भी घोर नाराजगी के बावजूद कभी उस भ्रष्ट इंजीनियर को हाथ नहीं लगाया। सत्ता चाहे किसी दल की हो। पर अपने भ्रष्टाचारी कारनामों के दम पर यह इंजीनियर जनपद से लेकर शासन तक के उच्चाधिकारियों को मैनेज करता रहा है।

आपको बता दें कि वर्तमान सांसद जगदम्बिका पाल और एक अन्य शिकायतकर्ता रमेश चंद्र शुक्ल द्वारा निर्वाचन आयोग में दी गयी शिकायत के बाद आयोग ने जिले से रिपोर्ट प्राप्त की और पाया कि अधिशाषी अभियंता शिवशंकर उपाध्याय की तैनाती कार्मिक विभाग की स्थानांतरण की नीति के विरुद्ध है। आयोग ने विभाग के अपर मुख्य सचिव को 19 अप्रैल को एक पत्र लिखा कि प्रकरण की अपने स्तर से जाँच कराकर जनपद सिद्धार्थनगर में अधिशाषी अभियंता के पद पर तैनाती हेतु 03 अधिकारियों का पैनल तत्काल उपलब्ध कराएं।

विभाग ने आयोग द्वारा पैनल मांगे जाने पर 29 अप्रैल को 03 अधिकारियों का पैनल भी उपलब्ध करवा दिया। पैनल मिलने के भ्रष्ट अभियंता शिवशंकर उपाध्याय के स्थान पर किस अधिकारी को जनपद सिद्धार्थनगर में तैनात करना है, ये निर्णय आयोग को लेना था लेकिन अभी तक आयोग ने इसपर कोई निर्णय ही नहीं लिया। हालाँकि सूत्रों की मानें तो पैनल आने के बाद ही इस पर आयोग ने निर्णय ले लिया था। हालाँकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आयोग का कौन अधिकारी इस भ्रष्ट अभियंता को बचाने में जुटा है।

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