लखनऊ ।। चुनावों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) तैयारी अपने विपक्षियों से पहले शुरू कर देती है। जहां भाजपा, सपा और कांग्रेस सहित तमाम दल अपनी रणनीति, घोषणा पत्र और उम्मीवारों के बीच उलझे रहते हैं, तो वहीं बसपा करीब एक साल पहले ही उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर चुकी होती है।
साल 2014 के आम चुनाव में भारी नुकसान झेल चुकी बीएसपी ने आगामी लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर इस बार भी अपनी तैयारी अन्य दलों से पहले शुरू कर दी है।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुत कम समय रह गया है तो बसपा ने अपनी रणनीति में जहां तक सपा से गठबंधन की बात को पुख्ता किया है। तो वहीं मायावती ने इस गठबंधन से पहले जमीनी स्तर पर तैयारी और अपने कार्यकर्ताओं का मूड टटोलना शुरू कर दिया है।
इसके लिए उन्होंने पार्टी के जोनल कोर्डिनेटर जिलाध्यक्षों के अलावा कार्यकर्ताओं से भी बात की। सपा से गठबंधन को लेकर वह किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं थीं। उन्होंने 26 March (कल) को बुलाई मंडल कोर्डिनेटरों की बैठक में इस पहलू पर भी गौर किया कि गठबंधन होने की स्थिति में समाजवादी पार्टी का वोट बसपा को ट्रांसफर होगा या नहीं।
बसपा की समीक्षा बैठक वैसे तो हर माह की दस तारीख को होती है, लेकिन मायावती ने इस बार इस बैठक को 25 March को ही बुला लिया। लखनऊ बसपा मुख्यालय में जुटे जोन कोर्डिनेटर और मंडल कोर्डिनेटरों के अलावा पार्टी के अन्य पदाधिकारियों की बैठक में उन्होंने सपा से महागठबंधन के होने वाले नुकसान और फायदे के बारे में खुलकर चर्चा की।
उन्होंने लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर अपने सभी कोर्डिनेटरों और कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए कि वे अभी से 2019 के होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को पार्टी का जनाधार बढ़ाने और संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत बनाने और हालात को पूरी तरह से अपने पक्ष में करने के लिए जी-जान से जुटने को कहा।
आपको बता दें कि 14 April के बाद पार्टी की जो समीक्षा महीने में एक बार होती थी उसकी समीक्षा अब हर 15 दिन बाद होगी और उसकी रिपोर्ट लखनऊ मायावती को भेजी जाएगी। इस रिपोर्ट में बूथ स्तर से लेकर जिला स्तर तक तैयारी की रिपोर्ट होगी।