अजब-गजब ।। हम सभी इस बात को बहुत अच्छे से जानते हैं कि इस जमीन पर जो भी पौदा हुआ, उसे कभी न कभी मरना ही है, वहीं जब किसी की मृत्यु एक रहस्य की तरह हो जाती है या फिर उसके पीछे किसी ओर के होने की संभावना होती है तो ऐसे में Post mortem किया जाता है, या फिर कोई मडर केस पुलिस तक पहुंचता है।
तो उस समय भी Post mortem किया जाता है। ये एक ऐसा प्रोसेस है जिसमें लाश का प्रशिक्षण किया जाता है। जिससे ये पता लगाया जा सकता है कि मरने वाले शख्स की मौत किस कारण से हुई थी।
वहीं Post mortem से पहले परिवार के सदस्यों से मंजूरी ली जाती है उसके बाद ही मौत के 10 घंटे के भीतर ही मृतक का Post mortem किया जाता है। मृतक की बॉडी में कई परिवर्तन होने लगते हैं। जैसे शव में एंठन और विघटन आने लगते हैं। क्या आप जानते हैं डॉक्टर रात के वक्त Post mortem क्यों नहीं करते नहीं हैं, यदि नहीं तो आइए आपको बताते हैं।
दरअसल, रात के वक्त Post mortem ना करने का असली कारण है रोशनी, क्योंकि रात के वक्त बीजली की रोशनी चोट के लाल रंग को बैगनी रंग का दिखाती है, जोकि प्रकृति रोशनी यानी सूरज की रोशनी में ही ठीक से दिखती है। वहीं फोरेंसिक साइंस में बैगनी चोट के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया है, जबकि धर्मों में भी रात के वक्त Post mortem करना वर्जित है। जिसके चलते कई धर्म के परिवार वाले रात को Post mortem नहीं करवाते हैं।
इसके अलावा ऐसा भी माना जाता है कि रात के वक्त ट्यूबलाइट की रोशनी में चोट के रंग अलग अलग दिखाई देते हैं। जिसके चलते Post mortem रिपोर्ट को लेकर कोर्ट चेतावनी भी दे सकता है, इसलिए साइंस की पढ़ाई कर रहे छात्रों को भी इस बात की जानकारी अच्छी तरह दी जाती है।