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लखनऊ।। गैंगरेप के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की गिरफ़्तारी को लेकर अब योगी सरकार भी कटघरे में है। रेप के आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को गिरफ़्तार करने से यूपी पुलिस क्यों बच रही है? सेंगर के नाम से सिस्टम के हाथ पैर क्यों फूलने लगते हैं? हालाँकि सेंगर पर रेप का मुकदमा दर्ज हो चुका है और पुलिस द्वारा CBI को मामला सौंप देने का बहाना दिया जा रहा है। यूपी के डीजीपी ओ पी सिंह आरोपी सेंगर को अब भी ‘माननीय विधायक जी’ कहते हैं। इन सबके पीछे सेंगर का राजनीतिक रसूख और इसी महीने होने वाला विधान परिषद का चुनाव भी है।

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बता दें कि कुलदीप सिंह सेंगर ने लगातार 4 बार विधायक का चुनाव जीता है। इसके पहले दो बार सपा से और एक बार बसपा के उम्मीदवार रहते हुये चुनाव जीता। कभी सेंगर, अमर सिंह के बेहद क़रीबी हुआ करते थे। अब उनकी गिनती राजा भैया उर्फ़ रघुराज प्रताप सिंह के कैंप में गिनी जाती है।

कुलदीप सिंह सेंगर के साले शैलेंद्र सिंह शैलू भी बीजेपी के विधायक हैं। वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क़रीबी भी माने जाते हैं। चर्चा है कि राज्यसभा के चुनाव में बीएसपी के जिस विधायक ने भाजपा के लिए वोट किया था वो मैनेजमेंट भी कुलदीप सेंगर का था। बीएसपी विधायक अनिल कुमार सिंह भी उन्नाव जिले के ही हैं।

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कानपुर के बिठूर से अभिजीत सांगा पहली बार भाजपा के टिकट पर विधायक बने हैं। वो भी सेंगर के बेहद क़रीबी माने जाते हैं। पिछले साल दोनों साथ-साथ भाजपा में शामिल हुए थे। इसके अलावा चार और विधायक सेंगर की टीम के माने जाते हैं।

आगामी 26 तारीख़ को यूपी विधान परिषद के चुनाव होने हैं। विधायकों की संख्या के हिसाब से भाजपा 11 सीटें जीत सकती है। बसपा, सपा और कांग्रेस मिलकर दो एमएलसी चुन सकते हैं। विधान परिषद के एक सदस्य को जीतने के लिये29 वोट चाहिए। इस हिसाब से 11 सीटों के लिए भाजपा को 319 वोट चाहिए। कुलदीप सेंगर के कैंप में कम से कम 8 से 10 विधायक हैं। इसीलिए पार्टी सेंगर को नाराज़ करने के मूड में नहीं है।

फोटोः फाइल 

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