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नई दिल्ली ।। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि शिक्षकों और प्रिंसिपल से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं कराया जा सकता। उच्च न्यायालय ने कहा कि नगर निगम स्कूलों के शिक्षकों से नहीं कह सकते कि वार्ड शिक्षा रजिस्टर तैयार करें।

इसके अलावा निगम स्कूलों के बच्चों का बैंक खाता खुलवाने और उन्हें आधार से लिंक करवाने के लिए प्रिंसिपल की मदद ले सकते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं है। अखिल दिल्ली प्राथमिक शिक्षा संघ की तरफ से उच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया था कि निगम के स्कूलों में तैनात शिक्षकों से शिक्षा के अलावा अन्य कार्य कराए जाते हैं।

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शिक्षा का अधिकार कानून के मुताबिक शिक्षा रजिस्टर तैयार करना और वार्ड सर्वे का काम स्थानीय निकायों का है, जबकि यह कार्य शिक्षकों और प्रिंसिपल से कराया जा रहा है। उच्च न्यायालय ने कहा कि शिक्षकों का काम बच्चों के दिमाग को तराशना और उन्हें परिपक्व बनाना है। शिक्षकों को इस कार्य से भटकाना सही नहीं है।

यहां पर बता दें कि दो साल पहले केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने CBSE के संबंधित स्कूल प्रमुखों को दिशा-निर्देश जारी कर शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य कराने के लिए मना किया है। CBSE का कहना है कि इसके लिए स्कूल अलग से प्रशिक्षित स्टाफ की नियुक्त करे।

CBSE की ओर से जारी सर्कुलर में शिक्षा का अधिकार 2009 का हवाला देते हुए किसी भी शिक्षक को गैर शैक्षणिक कार्यों में नहीं लगाए जाने की बात कही है। बोर्ड ने कहा है कि शिक्षकों को पढ़ाने, परीक्षा संचालन और जांच कार्यों के अलावा अन्य गतिविधियों में शामिल न किया जाए। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार समिति की बैठक में गैर शैक्षणिक कार्यों का मुद्दा उठने के बाद CBSE ने यह पत्र जारी किया है।

इसमें ट्रांसपोर्ट, कैंटीन के कार्यों के लिए अलग से कर्मचारी नियुक्त करने, बस में बच्चों की देखभाल के लिए योग्य कर्मचारी, बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक ट्रांसपोर्ट मैनेजर, कम से कम एक महिला सहायक रखने और हर वर्ष बस चालक की आंखों की जांच सहित अन्य स्वास्थ्य जांच करवाने के निर्देश दिए गए हैं।

फोटो- फाइल