कहीं हाथ पड़ा था, कहीं जिस्म का दूसरा हिस्सा, रोड पर पड़े थे शहीदों के चीथड़े, फिर ऐसे हुई पहचान, पढ़कर आ जाएंगे आंसू

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लखनऊ ।। पुलवामा अटैक में शहीद 40 CRPF जवानों के पार्थिव शरीर को उन गांवों-घरों की तरफ भेज दिया गया है जहां उनका जन्म हुआ था, जहां वो पले-बढ़े थे। आज जब तिरंगे में लिपटे इन जवानों का शव इनके घर पहुंच रहा है तो इन शवों की हालत को देख लोगों के मन में घोर गुस्सा भरा है। हमले की चपेट में आए जवानों के शरीर का वो हाल हो चुका है जिसे बता पाना मुश्किल है।

हमले के तुरंत बाद आई तस्वीरें इसकी गवाही भी दे रही थी। शवों का हाल देखकर इनकी पहचान करना CRPF जवानों के लिए बहुत मुश्किल था। लगभग 60 किलो बारूद का यूज़ कर इस फिदायीन हमले के बाद शवों की हालत बहुत बुरी हो गई थी। कहीं हाथ पड़ा हुआ था तो कहीं शरीर का दूसरा भाग बिखरा हुआ था। जवानों के बैग कहीं और थे तो उनकी टोपियां कहीं और बिखरी हुई थी। हमले के तुरंत बाद ये इलाका युद्ध के मैदान जैसा दिख रहा था।

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जिस्म के इन अवशेष और सामानों को एक साथ इकट्ठा करने के बाद इनकी पहचान का काम शुरू हुआ। समाचार एजेंसी PTI के अनुसार, इस काम में जवानों के आधार कार्ड, आईडी कार्ड और कुछ अन्य सामानों से बड़ी सहायता मिली।

कुछ जवान की पहचान गले में लिपटी उनकी आईडी कार्ड से हो गई। लेकिन जिन जवानों के सिर के आसपास चोट आया था उनकी पहचान आईडी कार्ड से हुई। कुछ जवान अपना पैन कार्ड साथ लेकर चल रहे थे इसके आधार पर उनकी शिनाख्त हो सकी। शवों की शिनाख्त के कुछ मामले तो बेहद दर्द भरे हैं।

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कई जवान घर जाने के लिए छुट्टी का आवेदन लिखकर आए थे। इस आवेदन को वह अपने बैग में या पॉकेट में रखे थे इसी के आधार पर उन्हें पहचाना जा सका। इस भयानक हमले में कई जवानों के बैग उनसे अलग हो गए थे। ऐसे में इनकी पहचान उनकी कलाइयों में बंधी घड़ियों से हुई। ये घड़ियां हमले में बचे उनके साथियों ने पहचानी।

कई जवान अपने पॉकेट में पर्स लेकर चल रहे थे। ये पर्स उनके पहचान का आधार बने। इन तमाम कोशिशों के बाद भी कुछ शवों के पहचान में बेहद दिक्कत हुई। इनकी पहचान के लिए फोटोज़ का प्रयोग किया गया।

फोटो- फाइल

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