मुस्लिम युवक ने रोजा तोड़कर हिंदू बच्चे की ऐसे बचाई जान, दी इंसानियत की मिसाल

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पटना ।। दुनिया भर में जीतने भी धर्म हैं, सभी यही शिक्षा देते हैं कि पहले नेकी कर, फिर इबादत। यह बिहार के एक मुस्लिम युवक ने साबित कर दिया। जिसने रोजा तोड़कर एक बच्चे की जान बचाई।

बिहार के गोपालगंज के जावेद आलम ने नेकी को मजहब से बड़ा मान इंसानियत की ऐसी मिसाल पेश की जिसके लिए उनकी हर ओर तारीफ हो रही है। आपको बता दें कि उन्होंने एक गंभीर बीमारी से पीड़ित एक बच्चे की जान को बचने के लिए रोजा तोड़कर रक्तदान किया।

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जावेद आलम डिस्ट्रिक्ट ब्लड डोनेशन टीम (BDBT) में सक्रिय सदस्य के तौर पर जुड़े हैं। कुचायकोट प्रखंड के गांव का 8 साल का बच्चा पुनीत कुमार थैलेसीमिया नामक गंभीर बीमारी से पीड़ित है। बच्चे को हर माह खून की आवश्यकता पड़ती है।

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मंगलवार को जब बच्चे की तबियत ख़राब हुई तो माँ बाप उसे सदर अस्पताल ले आये। लेकिन ब्लड बैंक में बचे का ब्लड ग्रुप नहीं होने की वजह से उसके परिजन बहुत निराश हुए। इसी बीच वह कई लोगो से रक्तदान की अपील करने लगे। लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी। फिर समाज सेवक अनवर हुसैन को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने दोस्त जावेद आलम को फ़ोन कर रक्तदान के लिए सदर अस्पताल बुलाया।

अनवर के दोस्त जावेद ने रोजा रखा था। इंसानियत को मजहब से बड़ा फर्ज मान वह तुरंत खून देने के लिए अस्पताल पहुंच गए। खाली पेट रक्त लेने से डाक्टर ने मना किया तो जावेद जिद पर अड़ गए। डाक्टर ने उन्हें पहले कुछ खाने की सलाह दी। इसपर खुदा का ध्यान कर जावेद ने जूस और खजूर खाया फिर रक्तदान कर थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे की जान बचाई।

फोटोः प्रतीकात्मक

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