नई दिल्ली।। एक वेबसाइट की खबर के अनुसार सोहराबुद्दीन मामले में अमित शाह के
खिलाफ जांच करने वाले CBI ऑफिसर संदीप तामगड़गे 2015 से खुद ही CBI की जांच
झेल रहे हैं। तामगड़गे सोहराबुद्दीन मामले में जांच ऑफिसर (IO) थे। उनके खिलाफ CBI
ने जो केस दर्ज किया है, उसी में से दो गवाह ये बयान दर्ज करा चुके हैं कि CBI उन्हें
तामगड़गे के खिलाफ झूठे बयान देने पर मजबूर कर रही है।
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गौरतलब है कि BJP पर CBI का दुरूपयोग करने के आरोप लग चुके हैं। यहाँ तक कि सुप्रीम
कोर्ट भी CBI को केंद्र सरकार का तोता कह चूका है।
क्या है सोहराबुद्दीन मामला
सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी कौसार बी का कथित तौर पर गुजरात एंटी टेररिज्म
स्क्वाड (ATS) ने हैदराबाद से सांगली महाराष्ट्र जाते समय अपहरण कर लिया था।
नवम्बर 2005 में, सोहराबुद्दीन की कथित फर्ज़ी-एनकाउंटर में मौत हो गई थी।
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इसके बाद दिसंबर 2006 में इस हत्या के चश्मदीद गवाह प्रजापति की भी कथित तौर
पर पुलिस ने छापरी गांव में हत्या कर दी थी। इस मामले में BJP अध्यक्ष अमित शाह,
गुलाबचंद कटारिया, राजस्थान के बिजनेसमैन विमल पाटनी, पूर्व गुजरात पुलिस चीफ
पीसी पांडे, गुजरात पुलिस ऑफिसर अभय चुड़ासामा, राजस्थान IPS ऑफिसर दिनेश
एमएन और गुजरात कॉप DG वंजारा पर आरोप लगे थे।
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प्रजापति और सोहराबुद्दीन मामले में संदीप तामगड़गे ने ही AMIT SHAH के खिलाफ चार्जशीट दर्ज की थी। प्रजापति मामले में अमित शाह को मुख्य आरोपी भी बताया गया था। तामगड़गे ने इस मामले में जनवरी 2012 और अक्टूबर 2013 को अमित शाह से पूछताछ भी की थी।
सरकार बनने के बाद वर्ष 2014 के बाद बदला खेल
वर्ष 2014 में BJP के सत्ता में आने के कुछ ही हफ्ते बाद अप्रैल 2014 में, तामगड़गे को इस केस से अलग कर दिया गया और इसके 6 माह बाद ही अमित शाह को इस मामले में बरी कर दिया गया।
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अक्टूबर 2015 में, तामगड़गे का नागालैंड ट्रान्सफर कर दिया गया। इसके बाद CBI ने तामगड़गे के खिलाफ दो मामले दर्ज किये। आरोप ये लगाया गया कि नागपुर में ACB में SP रहते हुए तामगड़गे ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ वर्कर्स एजुकेशन (CBWE) के एक अधिकारी के खिलाफ 4 लाख रुपये रिश्वत लेने का झूठा मुकदमा चलाया था। इस मामले पहले CBI जांच ऑफिसर से लेकर सुपरविज़नरी ऑफिसर तक सब यही मान रहे थे कि इस मामले में CBWE अधिकारी ने रिश्वत ली है और उसे सज़ा होनी चाहिये।
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लेकिन BJP के सत्ता में आने के बाद इस मामले में CBI ने अचानक से कहा कि आरोपी के खिलाफ सबूत पूरे नहीं हैं। इसके बाद इस मामले में CBI ने एक प्रारंभिक जांच शुरू कर दी कि CBWE अधिकारी को फंसाया गया है। उस जांच में तामगड़गे को आरोपी माना गया।
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CBI का कहना है कि शांताराम पाटिल और संजय झा ने तामगड़गे के खिलाफ सबूत दिये हैं। ये दोनों वहीं लोग थे जिन्होंने CBWE अधिकारी को रिश्वत लेते हुये रंगे हाथों पकड़वाया था। अक्टूबर 2015 में, सिंहा ने नागपुर में FIR दर्ज कराई कि CBI उसपर तामगड़गे के खिलाफ झूठी गवाही देने के लिए ज़ोर डाल रही है। पाटिल ने भी नागपुर कोर्ट में एक हलफनामा दिया है जिसके मुताबिक CBI उन्हें तामगड़गे के खिलाफ झूठे बयान देने के लिए धमका रही है।
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