विश्व में हर 40 सेकंड्स में एक व्यक्ति कर रहा आत्महत्या-WHO

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नई दिल्ली ।। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया में बढ़ती आत्महत्या पर चिता जताई है। WHO ने अपनी पहली वैश्विक रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद से बीते पांच वर्षों में राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति बनाने वाले देशों की संख्या में वृद्धि हुई है। लेकिन अभी भी इनकी संख्या सिर्फ 38 है, जो कि बहुत कम है। अन्य देशों और सरकारों को भी इस दिशा में आगे बढ़कर प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से यह जानकारी दी गई।

फांसी

WHO के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने कहा कि ‘इस दिशा में मिल रही कामयाबी के बावजूद आज भी हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है। हर मृत्यु परिवार, दोस्तों और कलीग्स के लिए एक ट्रेजेडी होती है, आत्महत्याएं रोकी जा सकती हैं। हम सभी देशों से स्थायी रूप से राष्ट्रीय स्वास्थ्य और शिक्षा कार्यक्रमों में आत्महत्या रोकथाम रणनीतियों को शामिल करने का आह्वान करते हैं।’

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उम्र आधारित आत्महत्या की दरों पर नजर डालें तो साल 2016 में दुनियाभर में प्रति 1 लाख में 10.5 लोगों ने खुदकुशी कर ली थी। हालांकि, विभिन्न देशों के बीच दरों का अंतर 5 व्यक्ति से 30 व्यक्ति प्रति एक लाख तक है। दुनियाभर की 79 फीसदी आत्महत्या की घटनाएं कम और मध्यम आय वाले देशों से सामने आईं। उन देशों की दर प्रति 1 लाख की आबादी पर 11.5 की रही। उच्च आय वाले देशों में महिलाओं के मुकाबले करीब तिनगुनी तादाद में पुरुष आत्महत्या कर लेते हैं। हालांकि, कम और मध्यम आय वाले देशों में खुदकुशी करने वाले पुरुषों और महिलाओं की संख्या लगभग बराबर होती है।

सड़क दुर्घटना में आई कोई चोट 15-29 वर्ष की आयु के युवाओं में आत्महत्या का दूसरा प्रमुख कारण रही। वहीं, 15-19 वर्ष की आयु के किशोरों में आत्महत्या का एक बड़ा कारण आपसी हिंसा के रूप में सामने आया। महिलाओं के बीच आत्महत्या का प्रमुख कारण मैटरनल कंडिशंस के बाद की स्थितियों के रूप में सामने आया।

आत्महत्या करने के सबसे अधिक प्रचलित तरीकों के रूप में फांसी लगाना, जहर खाना या खुद को आग के हवाले कर लेना रहा। वहीं, आत्महत्याओं की घटनाओं पर काबू पानेवाले कारगर तरीकों के रूप में इन साधनों तक लोगों की पहुंच कम करना, आत्महत्याओं से जुड़ी घटनाओं पर कवरेज को लेकर मीडिया को एजुकेट करना, युवाओं के बीच इस तरह के प्रोग्राम्स चलाना जो उन्हें जीवन में उपजे तनाव से निपटने में मदद करें, आत्महत्या के जोखिम को जांचकर जरूरतमंद लोगों की उनकी स्थिति के हिसाब से मदद करना हैं।

आत्महत्या की घटनाओं को कम करने में सबसे अधिक प्रभावी तरीका उन कीटनाशकों तक लोगों की पहुंच को रोकना है, जिन्हें पीकर अधिकांश लोग आत्महत्या का प्रयास करते हैं। कई कीटनाशक बहुत अधिक विषैले होते हैं और इनकी उच्च विषाक्तता का मतलब है कि इस तरह के आत्महत्या के प्रयासों से अक्सर व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

खासकर उन जगहों और स्थितियों में जहां कोई ऐंटिडॉट नहीं है या जहां पास में चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। आज जारी किए गए WHO के प्रकाशन में बताया गया कि आत्महत्या को रोकने के लिए पेस्टिसाइड रजिस्ट्रार एंड रेगुलेटर्स अब इंटरनेशनल लेवल पर एक प्रभावशाली तरीके से बढ़ती हुई बॉडी है, जो यह दर्शाती है कि अत्यधिक खतरनाक कीटनाशकों के उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए बनाए गए नियमों से राष्ट्रीय आत्महत्या की दर में कमी आ सकती है।

फोटो- फाइल

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