लखनऊ।। बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज लखनऊ में मालएवेन्यू स्थित पार्टी कार्यालय पर हर्षोउल्लास के साथ अपना 62वां जन्मदिन मनाया। इस दौरान प्रदेश के सभी जिलों में स्थित पार्टी कार्यालयों पर भी केक काटकर जन्मदिन मनाया गया। इस दौरान बसपा प्रमुख मायावती ने सभी विपक्षी पार्टियों पर हमला बोला।
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मायावती ने प्रदेश के मुखिया, औऱ मुंहबोले भतीजे और साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष पर भी
हमला बोला।उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी को दूसरी पार्टियां खत्म करने की कोशिश कर
रही हैं। हमारी पार्टी को वो आगे बढ़ने नहीं दे रही है। भाजपा बाबा साहेब के नाम का गलत
इस्तेमाल कर और बाबा साहेब का गलत पोस्टर लगाकर फायदा उठाने की कोशिश कर रही है।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि भाजपा औऱ कांग्रेस चोर- चोर मौसेरे भाई हैं। इन पार्टियों को अनदेखा
कर अब लोग बसपा पर यकीन करने लगे हैं। कांग्रेस बाबा साहेब के नाम का गलत प्रयोग कर
जनता से वोट मांग रही है।
बाबा साहब के संविधान को लेकर मायावती ने दिया ये बड़ा बयान, BJP पर लगाए आरोप
इस दौरान उन्होंने कहा कि दलितों और गरीबों का हक मारा जा रहा है। उन्हें बेरोजगार बनाये
रखा जा रहा है। बीजेपी सरकार में दलितों का बहुत शोषण हो रहा है। लेकिन सरकार जबाब नहीं दे रही है।
अपने 62वें जन्मदिन के अवसर पर मायावती ने जहां एक ओर विपक्षी पार्टियों पर तंज कसा वहीँ अपने
कार्यों की जमकर सराहना की। उन्होंने उपने सरकार के कार्यकाल में हुये कार्यों को जनहित में बताते हुये
कहा कि बसपा ने ही गरीबों की लड़ाई लड़ी है। मायावती ने कहा,पार्टी कुर्बान होने के लिये तैयार है। बहुजन
समाज पार्टी पार्टी दलित, पिछड़ों के लिये हमेशा तैयार रहती है।
मायावती अपने जन्मदिन के अवसर पर कहा कि हमारी पार्टी को हर स्तर पर भाजपा बदनाम करने में
लगी है। वर्ष 2017 के चुनाव में जीतने के लिये भाजपा ने EVM में गड़बड़ी की।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने राष्ट्रपति चुनाव में दलित कार्ड खेला। वहीं सहारनपुर में जानबुझकर जातीय संघर्ष
करवाया। है। ये सब कुछ बसपा को बदनाम करने की साजिश है।
मायावती ने कहा कि मुझे राज्यसभा में नहीं बोलने दिया जाता है। वो शब्बीपुर कांड में बोलना चाहती थीं।
लेकिन भाजपा ने उन्हें नहीं बोलने दिया। इसलिए मजबूर होकर राज्यसभा से इस्तीफा देना पड़ा।
“शब्बीरपुर की घटना राजपूतों की शान में न होकर, राजपूतों की शान को चुनौती के कारण हुई थी।
इस हिंसा का बीज पहले ही अंकुरित हो गया था। उल्लेखनीय है कि इस गांव के प्रधान का पद अनारक्षित
है। सवर्ण समाज अनारक्षित का अर्थ अपने लिए आरक्षित मानता है। लेकिन इस पद पर अनुसूचित जाति
का व्यक्ति चुनाव विजयी हुआ था। राजपूतों को यही नागवार गुजरा।”
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