img

www.upkiran.org

यूपी किरण ब्यूरो

लखनऊ।। ठाकुरगंज के मल्लाही टोले में एक साथ सात अर्थियां उठाने के लिए अपनों के कंधे कम पड़ गए। कांपते हाथों से रिश्तेदारों ने कंधा देकर शवों की अंतिम यात्रा पूरी करवाई।

बुधवार को इस मातमी माहौल को देखने वालों का कलेजा कांप उठा। गुलाला घाट पर एक साथ पांच चिताएं जली तो कर्मकांड करवाने वाले ब्राह्मणों की आंखें भीग गईं।

कपाल क्रिया करवाने वाले पंडितों ने बताया कि एक ही परिवार की पांच चिताओं के जलने का मंजर इस घाट पर पहली बार देखा है।

प्रतापगढ़ में हुए सड़क हादसे के शिकार एक ही परिवार के पांच सदस्यों सहित सात शवों की अंतिम यात्रा सुबह करीब 8 बजे मल्लाही टोला से निकली। इस विभत्स घटना पर संवेदना व्यक्त करने के लिए इलाके के लोगों की कतार लगी थी।

लेकिन अर्थियां उठी तो संवेदनाएं आसुओं की धार बनकर बहने लगीं। मोहल्ले की महिलाओं की चीख से पूरा से इलाका दहल उठा। जिस दरवाजे से पांच अर्थियां उठी थीं उस मकान में रोने वाला कोई नहीं बचा था। शैलेंद्र मिश्रा जवान बेटे की अर्थी को कंधे पर लेकर खड़े थे।

उनका छोटा बेटा अमित मां की अर्थी से लिपटा फफक रहा था। शैलेंद्र की बहू और एक साल के पोते का शव लेकर रिश्तेदार चल रहे थे। ससुराल से आई बेटी श्वेता मां, भाई, भाभी और भतीजे के शव देखकर रात से ही बेसुध पड़ी थी।

गोमती के तट पर एक साथ पांच चिताएं सजने लगीं तो जलती लाशों के बीच दिन गुजारने वाले पंडों का कलेजा भी दहल गया। पंडितों ने बड़ी मुश्किल से कर्मकांड के मंत्रोच्चारण करके मुखाग्नि दिलवाई।

शैलेंद्र मिश्रा ने कलेजे पर पत्थर रखकर जवाने बेटे, बहू और पत्नी की चिता को आग दी, लेकिन चिताओं की लपटें उठी तो वहां खड़े होने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पाया। देखने वालों के मुंह से निकल पड़ा कि ऐसा लग रहा है एक दुनिया जल रही है। ईश्वर यह दिन कभी न दिखाए।

एक ही मोहल्ले के सात लोगों की मौत से पूरा इलाका दहल गया, लेकिन किसी जनप्रतिनिधि की संवेदना नहीं जागी।

स्थानीय पार्षद अनुराग पांडेय रात में शव आने के बाद पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे तो इस विभत्स घटना की जानकारी क्षेत्रीय विधायक को दी, लेकिन विधायक नीरज बोरा न तो अंत्येष्ठि में शामिल हुए न पीड़ित परिवार का दर्द बांटने पहुंचे।

फोटोः फाइल

इसे भी पढ़ें

http://upkiran.org/5235

http://upkiran.org/5227

 

 

--Advertisement--