Up Kiran, Digital Desk: हम फिल्मों और वेब सीरीज़ में अपने पसंदीदा एक्टर्स को देखते हैं, उनकी परफॉरमेंस की तारीफ़ करते हैं। कुछ रोल्स इतने इंटेंस होते हैं कि उन्हें देखकर हम हिल जाते हैं। पर क्या कभी आपने सोचा है कि इन किरदारों को जीने वाले कलाकार, ख़ासकर जब रोल बहुत गहरा या भावनात्मक रूप से थकाने वाला हो, तो अपनी मानसिक और भावनात्मक सेहत का ध्यान कैसे रखते हैं? यह सिर्फ एक्टिंग नहीं, बल्कि खुद को उस किरदार में पूरी तरह ढाल लेना होता है। अदाकारा अदिति पोहनकर, जो अपनी वेब सीरीज़ और फ़िल्मों में दमदार रोल्स के लिए जानी जाती हैं, उन्होंने हाल ही में बताया है कि वे ऐसे गहरे किरदारों को निभाने के बाद अपनी मानसिक और भावनात्मक सेहत को कैसे संभालती हैं। यह हर किसी के लिए, खासकर आज के दबाव भरे माहौल में, एक सीख हो सकती है।
अदिति कैसे करती हैं अपनी मानसिक सेहत को मैनेज?
अदिति कहती हैं कि ऐसे रोल करते हुए कभी-कभी ऐसा लगता है कि आप उस किरदार में ही कैद हो गए हैं। उसे निभाना जितना रोमांचक होता है, उतना ही मानसिक रूप से थका देने वाला भी। उन्होंने अपनी मानसिक शांति बनाए रखने के कुछ ऐसे तरीक़े बताए हैं, जो बहुत सीधे-सादे और प्रभावी लगते हैं:
किरदार से 'कट-ऑफ' करना: जब वे शूट पूरा कर लेती हैं, तो सबसे पहले वे उस किरदार से मानसिक तौर पर बाहर आने की कोशिश करती हैं। इसके लिए वे फ़ोन और सोशल मीडिया से दूरी बनाती हैं। उनका कहना है कि डिजिटल दुनिया में खो जाने से आप अपनी भावनाओं से दूर हो सकते हैं, इसलिए कुछ समय 'अनप्लग्ड' रहना बहुत ज़रूरी है।
प्रकृति के साथ समय: अदिति को प्रकृति से बहुत प्यार है। वे अपनी मानसिक थकान को दूर करने के लिए खुले मैदानों, पेड़ों के बीच या शांत जगहों पर जाती हैं। उनका मानना है कि प्रकृति से जुड़ना दिमाग को शांत करता है और मन को तरोताज़ा करता है। ताज़ी हवा और हरियाली उन्हें उस इंटेंस किरदार के बोझ से मुक्ति दिलाने में मदद करती है।
प्रियजनों के साथ बातचीत: परिवार और दोस्तों से बात करना उनके लिए एक हीलिंग का काम करता है। किसी ऐसे से अपनी फीलिंग्स शेयर करना जो आपको समझता है, आपको हल्का महसूस करवाता है। यह आपको ज़मीन से जुड़ा रहने में मदद करता है और आपको याद दिलाता है कि आप उस किरदार से अलग हैं।
रुचियों पर ध्यान देना: एक्टिंग के अलावा उनकी जो भी हॉबीज़ हैं, जैसे कि पेंटिंग, संगीत सुनना या किताब पढ़ना, उन पर ध्यान देना भी उन्हें मदद करता है। ये एक्टिविटीज़ उन्हें उस काल्पनिक दुनिया से बाहर निकालकर असलियत से जोड़ती हैं और उन्हें खुशी देती हैं।
पर्याप्त आराम और ध्यान (मेडिटेशन): शारीरिक और मानसिक आराम दोनों ही ज़रूरी हैं। इंटेंस रोल्स के बाद वे पूरी नींद लेने और कभी-कभी मेडिटेशन (ध्यान) का सहारा लेती हैं, जिससे दिमाग को शांत करने और भावनाओं को संतुलित करने में मदद मिलती है।
अदिति की ये बातें सिखाती हैं कि चाहे आपकी जॉब कितनी भी डिमांडिंग क्यों न हो, अपनी मानसिक और भावनात्मक सेहत का ख्याल रखना सबसे ज़रूरी है। हमें खुद को ब्रेक देना, प्रकृति से जुड़ना और अपने प्रियजनों से बात करना कभी नहीं भूलना चाहिए। यही सही मायने में सेहतमंद और संतुलित ज़िंदगी का राज है।
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