बीते 21 दिसंबर को WFI चुनाव संपन्न हुए। फिर ब्रजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह चीफ बन गए। फिर मामला और तेजी से गरमा गया। ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी रेसलर साक्षी मलिक ने तब संघ के इस चुनाव पर दुख जाहिर करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने जूते निकालकर मेज पर रख दिए और रेसलिंग से संन्यास की घोषणा कर दी। तत्पश्चा, संडे को जब मंत्रालय ने WFI की नई बॉडी को सस्पेंड कर दिया तो सवाल उठा कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि आनन फानन में WFI के नए अध्यक्ष को सस्पेंड करना पड़ गया। आखिर क्या सरकार को नुकसान का डर सताने लगा?
WFI की नई टीम को सस्पेंड करने के 2 कारण हो सकते है। आइए जानते हैं पहली वजह। दरअसल, भाजपा हाईकमान और सरकार के रणनीतिकारों को लगता है कि WFI के चलते विपक्ष इस पूरे मामले को 2024 के लोकसभा इलेक्शन में मुद्दा बनाकर फायदा उठा सकती है।
दूसरा कारण है कि बीजेपी को लगता है WFI मामले के बाद जैसे बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने कुश्ती को अलविदा कहा उससे सरकार और बीजेपी को लेकर देश के खिलाड़ियों में गलत संदेश जाएगा।
भाजपा और सरकार के रणनीतिकारों का ये भी मानना है कि यदि कांग्रेस या इंडिया गठबंधन ने WFI के मामले को 2024 के लोकसभा इलेक्शन का मुद्दा बनाया तो महिला और जाट मतदाता का नुकसान हो सकता है। इसलिए देर रात पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ब्रजभूषण शरण सिंह से फोन पर बात की। दिल्ली आकर मुलाकात की।
संडे सवेरे ब्रजभूषण शरण सिंह ने पार्टी और सरकार की तरफ से यह जानकारी दी कि WFI की नई टीम को खेल मंत्रालय ने सस्पेंड कर दिया है। भाजपा रणनीतिकारों ने ये भी समझा कि इस मामले में इंटरनेशनल ओलंपिक संघ में भी भारत की साख खराब हो सकती है। ऐसे में ये बड़ा फैसला लिया गया है।
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