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(पवन सिंह)
निरंकुश और अलोकतांत्रिक सत्ताएं कभी भी निर्माण पर भरोसा नहीं करती हैं। एक सर्वमान्य निर्मित संविधान या नियमों को न मानते हुए उसके समानांतर एक और निरंकुश व्यवस्था खड़ी करना ही ऐसी सत्ताओं का पैमाना रहा है। यहां यह भी क़ाबिल ए ग़ौर है कि इन निरंकुश सत्ताओं के लिए कभी भी देश, समाज और जनता प्राथमिकता में नहीं रही है न कभी होगी....हां! इनके प्रोपेगैंडा में यह विषय है आसमां तक उछाले जाते रहे हैं....। ऐसी सत्ताओं की सोच बेहद कट्टर और संकुचित होती है। जनता को उसके मूल विषयों से भटकाये रखना, अपने ही देश की आवाम के बीच नफ़रत पैदा करना और एक मान्य व्यवस्था को ध्वस्त कर देना ऐसी सत्ताओं का शगल रहा है। 

देश की जनता अगर अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं होती है और इतिहास से सबक नहीं लेती है तो उसके हाथ केवल विनाश लगता है। इस तरह की सत्ताओं के तीन सबसे ख़तरनाक हथियार हुआ हैं-धर्म, राष्ट्रवाद और संस्कृति....जर्मनी हो या मिडिल ईस्ट या ताज़ा-ताजा श्री लंका..इसके जीवंत उदाहरण हैं। इन सत्ताओं का अंतिम हमला होता है सुरक्षा बलों पर और देश की व्यवस्था को मान्य नियमों से संचालित करने वाली वहां की प्रशासनिक सेवा पर। भारत की मौजूदा सत्ता ने अब इन दोनों पर हमला आरंभ कर दिया है। मैं पहले भी अपने लेखों के माध्यम से कहता आया हूं कि बचेगा कोई नहीं...एक-एक करके सबका शिकार होगा और ठीक वैसा ही हो रहा है।

भारतीय प्रशासनिक सेवा को नष्ट करने के लिए एक वायरस तैयार किया गया है और उस वायरस का नाम है-लैटरल एंट्री (Lateral Entry).....। यहां यह स्पष्ट कर दूं कि इस तथाकथित लैटरल एंट्री (Lateral Entry) के जरिए जो आईएएस थोपे जा रहे हैं वे UPSC जैसे कड़ी परीक्षा और प्रक्षिशण प्राप्त आईएएस अधिकारियों से कहीं ज्यादा ताकतवर हैं, क्योंकि उनकी नियुक्तियों का आका सत्ता के मजबूत शिखर पर बैठा है और वे उस आका द्वारा नियुक्त कठपुतली हैं, उनकी रीढ़ के सारे धागे आका की उंगलियों में हैं.....उनकी स्थिति और औकात एक गाने की लाईन में छिपी हैं-"...जितनी चाभी भरी राम ने उतना चले खिलौना.."। यानी कि लैटरल आईएएस कहीं ज्यादा ताकतवर है UPSC के आईएएस से....। केंद्र सरकार में लैटरल एंट्री के जरिए वरिष्ठ पदों के लिए 31 नाम फाइनल किए और तैनाती दे दी। 
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने 12 दिसंबर, 2020 और 12 फरवरी 2020 को UPSC से संविदा/प्रतिनियुक्ति आधार पर केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में संयुक्त सचिव/उप सचिव के पद पर शामिल करने के लिए योग्य उम्मीदवारों के चयन करने का अनुरोध किया था....। 

यूपीएससी ने 6 फरवरी 2021 को ऑनलाइन भर्ती आवेदन द्वारा संयुक्त सचिव/निदेशक स्तर की भर्ती प्रक्रिया की शुरूआत की और इन पदों के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 22 मार्च 2021थी।  इसके साथ ही उप सचिव पदों के लिए 20 मार्च को भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत हुई और आवेदन करने की अंतिम तिथि 3 मई थी।  संयुक्त सचिव के लिए 295, निदेशक स्तर के पदों के लिए 1247 और उप सचिव स्तर के पदों के लिए 489 आवेदन मिले। 27 सितंबर से 8 अक्टूबर 2021 तक साक्षात्कार का आयोजन किया गया। 

उम्मीदवारों द्वारा दाखिल किए ऑनलाइन आवेदन पत्रों के आधार पर संघ लोक सेवा आयोग ने 231 उम्मीदवारों का साक्षात्कार के लिए चयन किया और 27 सितंबर से 8 अक्टूबर 2021 तक साक्षात्कार का आयोजन किया गया और 31 उम्मीदवारों का अंतिम चयन किया गया है। लेटरल एंट्री गजब का भर्ती वायरस है। इसमें UPSC की तीन चरणों में वाली परीक्षा पास किए बगैर भी प्रशासनिक अधिकारी बनाया जाता है।  लेटरल एंट्री के जरिए निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को सीधे जॉइंट सेकेट्री या डायरेक्टर के पद पर नियुक्त मिलती है. इस परीक्षा में साक्षात्कार के जरिए सेलेक्शन किया जाता है.... फ़िलहाल लैटरल इंट्री वाले आईएएस अधिकारी ये रहे---

1- सैमुएल प्रवीण कुमार (ज्वाइंट सेक्रेटरी, कृषि मंत्रालय)2-मनीष चड्ढा (ज्वाइंट सेक्रेटरी, वाणिज्य मंत्रालय)3-बालासुब्रमण्यम कृष्णमूर्ति (ज्वाइंट सेक्रेटरी, वित्त मंत्रालय)4-कपिल अशोक बेंद्रे (डायरेक्टर-एग्रीकल्चर मार्केटिंग, कृषि मंत्रालय)5-नीरज गाबा (डायरेक्ट-एक्सपोर्ट मार्केटिंग, वाणिज्य मंत्रालय)6-सागर रमेश राव काडू (डायरेक्टर-लॉजिस्टिक्स, वाणिज्य मंत्रालय)7-प्रणु नारायण (डायरेक्टर-साइबर सिक्योरिटी इन फाइनेंशियल सेक्टर, वित्त मंत्रालय)8-हर्ष भौमिक (डायरेक्टर-डिजिटल इकोनॉमी, वित्त मंत्रालय)9-शेख चौधरी (डायरेक्टर-फाइनेंशियल मार्केट, वित्त मंत्रालय)10-हार्दिक मुकेश सेठ (डायरेक्टर-बैंकिंग, वित्त मंत्रालय)11-मंदाकिनी बलोढी (डायरेक्ट-इंश्योरेंस, वित्त मंत्रालय)12-अवनीत सिंह अरोड़ा (डायरेक्टर-आर्बिट्रेशन एंड कंसिलिएशन लॉ, कानून मंत्रालय)13-हैमंती भट्टाचार्य (डायरेक्टर-साइबर लॉ, कानून मंत्रालय)14-मातेश्वरी प्रसाद मिश्रा (डायरेक्टर-वेयरहाउस एक्सपरटीज, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय)15-गौरव सिंह (डायरेक्ट-एजुकेशन टेक्नोलॉजी, शिक्षा मंत्रालय)16-एडला नवीन निकोलस (डायरेक्टर-आईसीटी एजुकेशन, शिक्षा मंत्रालय)17-मुक्ता अग्रवाल (डायरेक्टर-मीडिया मैनेजमेंट, शिक्षा मंत्रालय)18-शिव मोहन दीक्षित (डायरेक्टर-वाटर मैनेजमेंट, जलशक्ति मंत्रालय)19-गोविंद कुमार बंसल (डायरेक्टर, स्वास्थ्य मंत्रालय)20-बिदुर कांत झा (डायरेक्टर, सड़क परिवहन मंत्रालय)21-अवीक भट्टाचार्य (डायरेक्टर, नागरिक उड्डयन मंत्रालय)22-संदेश माधवराव तिलेकर (डायरेक्टर, स्किल डेवलपमेंट मंत्रालय)23- ऋतु चंद्रा (डिप्टी सेक्रेटरी, शिक्षा मंत्रालय)24-रुचिका द्राल (डिप्टी सेक्रेटरी, पर्यावरण मंत्रालय)25-सौमेंदू रे (डिप्टी सेक्रेटरी, सांख्यिकी मंत्रालय)26-सारथी राजा जी (डिप्टी सेक्रेटरी, इस्पात मंत्रालय)27-राजन जैन (डिप्टी सेक्रेटरी, कारपोरेट कार्य मंत्रालय)28- धीरज कुमार (डिप्टी सेक्रेटरी खान मंत्रालय)29-राजेश असाती (डिप्टी सेक्रेटरी, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय)30-गौरव किशोर जोशी (डिप्टी सेक्रेटरी, भारी उद्योग मंत्रालय)31-जमीरुद्दीन अंसारी (डिप्टी सेक्रेटरी, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय).....मैंने अपने परिचित अवकाश प्राप्त दो चीफ सिक्रेट्री अधिकारियों, आधा दर्जन रिटायर्ड और वर्तमान आईएएस अधिकारियों से बात की तो लब्बोलुआब यह निकला कि 2024 के बाद "अग्निवीर" की तरह वे भी "प्रशासनिक वीर" बन कर रह जायेंगे । 

इन आईएएस अधिकारियों के अनुसार प्राइम पोस्टिंग यानी मलाईदार पोस्टिंग और सत्ता के साथ मिलकर लूट में साझेदारी ने इस कैडर की ताकत को नेस्तनाबूद कर दिया है। इन अधिकारियों का कहना है कि देश के सारे आईएएस अधिकारियों को मिलकर एक आपात बैठक करके यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी अधिकारी सत्ता के गलत आदेशों को किसी भी सूरत में नहीं मानेगा भले ही उसका स्थानांतरण सामान्य विभाग में क्यों न कर दिया जाए। अन्यथा   अगला नंबर भारतीय प्रशासनिक सेवाओं का है। 
सरकार अब प्रशासनिक सेवाओं के रिक्त पदों को भी भरने में खास दिलचस्पी नहीं ले रही है। राज्यसभा में सरकार की ओर से 2023 में जो जवाब दिया गया था कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1,365 और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 703 पद रिक्त हैं। कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक सवाल के लिखित जवाब में उच्च सदन को यह जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि भारतीय वन सेवा (आईएफएस) में 1,042 और भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में 301 पद रिक्त हैं।

कुल जमा खर्च ये है कि सत्ता को रीढ़ विहीन प्रशासनिक लाबी चाहिए... मौजूदा सत्ता को फिल्म घातक (1996) के डायलाग बोलने और सोचने वाला आईएएस अफसर नहीं चाहिए उसे चाहिए एडिटेड डायलाग्स दुम हिलाते हुए बोलने वाला प्रशासनिक अधिकारी जो रिरियाता हुआ धीरे से बोल सके-"......कात्या..!!! तू चाहता है मैं तेरे यहां कुत्ता बनकर रहूं.... तू कहे तो काटूं.... तू कहे तो भौंकू......ऐसा ही होगा कात्या..!!!! 

काश! भारतीय प्रशासनिक सेवा से आए मौजूदा आईएएस अधिकारी आने वाले खतरे को भांप सकें और रीढ़ की हड्डी को खड़ा करके राष्ट्रीय स्तर पर एक बैठक कर विचार कर सकें....देश को अब थोड़ी बहुत उम्मीद इसी प्रशासनिक सेवा और सुप्रीम कोर्ट के उन जजों से बची है जो आज भी देश के बारे में सोच रहे हैं।

(लेखक पवन सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं, जो स्वतंत्र लेखन से जुड़े हैं।)

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