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अनंतनाग में हुए कायराना आतंकी हमले के बाद इंडियन सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। इस वारदात में जम्मू कश्मीर पुलिस के डीएसपी और इंडियन सैनिकों के तीन जवानों की जान जाने से पूरे देश की आखें नम हैं। मगर सबसे दुखद बात यह है कि इन चारों लोगों की जान आतंकियों की वजह से नहीं बल्कि अपने ही एक आदमी की गद्दारी की वजह से गई।

रिपोर्ट के अनुसार इस आतंकी हमले में अपनों की गद्दारी भी शामिल है। दरअसल अनंतनाग जिले का पूरा इलाका कोकेरनाग के जंगलों से घिरा हुआ है। अनंतनाग शहर तक पहुँचने के लिए कोकेरनाग के रास्तों का इस्तेमाल करना पड़ता है। 12 सितंबर को सुबह सुबह एक खुफिया एजेंट ने सूचना दी कि इन्हीं कोकेरनाग के जंगलों में दो आतंकी छुपे हैं। उनकी सटीक लोकेशन एजेंट के पास है। ये खबर जैसे ही 29 साल के जांबाज अफसर और जम्मू कश्मीर के पुलिस डीएसपी हुमायूं भट तक पहुँची वो फौरन एक्शन में आ गए।

एसओपी यानी नियमों के अनुसार डीएसपी हुमायूं भट ने 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग अफसर कर्नल मनबीर सिंह को तुरंत एक ज्वाइंट ऑपरेशन लॉन्च करने की बात कही ताकि आतंकवादी अपना ठिकाना ना बदल सकें और उससे पहले ही उनका काम तमाम कर दिया जाए। कर्नल मनबीर सिंह ने मेजर आशीष से बात की और फौरन जवानों की एक टुकड़ी के साथ ऑपरेशन पर साथ चलने के लिए कहा। जम्मू कश्मीर पुलिस और सेना की दोनों टुकड़ियां मुखबिर की दी हुई लोकेशन पर पहुंच गई।

ऑपरेशन को अंजाम देना था बेहद मुश्किल

ये लोकेशन अनंतनाग जिले के इसी कोकेरनाग जंगल में थी। ऑपरेशन काफी मुश्किल था। यहां पर मक्के के खेत, सेब के बगीचे और पहाड़ी पर घने जंगल हैं। इन्हीं जंगलों में ऑपरेशन चला। जम्मू कश्मीर के कोकेरनाग का जंगल बहुत घना है। जंगल के चारों तरफ ऊंची ऊंची पहाड़ियां हैं, जो घने पेड़ों की चादर से ढकी हुई हैं। यानि चारों ओर इतना दुर्गम इलाका है कि किसी भी ऑपरेशन को अंजाम देना बेहद मुश्किल है। इसी जगह पर आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन शुरू करने के लिए इंडियन सैनिकों और पुलिस के जवान चल पड़े थे। अफसरों को लगा कि मुखबिर की खबर पक्की है और लश्कर के आतंकवादी आस पास ही मौजूद हो सकते हैं।

फौरन ज्वाइंट सर्च ऑपरेशन लॉन्च किया गया। पुलिस और सेना की टुकड़ियां मोर्चा संभालने के लिए तैयार होने लगीं। जैसे ही कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष और डीएसपी भट सर्च ऑपरेशन प्लान कर रहे थे कि अचानक आतंकियों की ओर से गोलियां दागी जाने लगीं। दोनों आतंकवादी जंगल में ही मौजूद थे और उसी हार्ट शूट वाले बगल के पहाड़ पर छिपे हुए थे। दोनों ही घात लगाकर हमला करने के लिए आर्मी और जम्मू कश्मीर पुलिस की टीम का इंतजार कर रहे थे। बाद में समझ में आया कि पुलिस को सूचना देने वाला एजेंट वास्तव में डबल एजेंट था, जो जम्मू कश्मीर पुलिस और सेना को धोखा दे रहा था व आतंकियों के लिए काम कर रहा था। जब सर्च ऑपरेशन के लिए टीमें पहुंची तो आतंकी पहले से घात लगाए हुए थे।

चार जवान देश के लिए शहीद

घात लगाकर बैठे दुश्मनों की गोलियों ने कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धमचक और जम्मू कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं भट सहित चार लोगों की जान ले ली। हिंदुस्तान के चार सपूतों की जान जाने से पूरा देश सन्न रह गया। इसके बाद पहाड़ियों पर आतंकवादियों को ढूंढ़ने के लिए साथ ही बॉडी की सर्चिंग के लिए भी ऑपरेशन चलाया गया। डीएसपी हुमायूं भट के शव लाने में करीब छह घंटे लगे। हमले के बाद आर्मी और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों ने आतंकवादियों का पीछा भी किया, मगर आरोपी आतंकी उजैर खान कोकरनाग इलाके का ही रहने वाला है और इन जंगलों के चप्पे चप्पे को बखूबी जानता है।

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