हिंदुस्तान को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जाता है। विश्व के कई मुल्कों को पीछे छोड़ते हुए हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की राह पर है।
देश और दुनिया के अर्थशास्त्रियों ने यह विश्वास जताया है कि हिंदुस्तान अगले कुछ सालों में 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बन सकता है. इसमें आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक माने जाने वाले एडम स्मिथ के एक सिद्धांत की चर्चा होने लगी है। इस थ्योरी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी समर्थन किया है और कहा जा रहा है कि यह 5 ट्रिलियन इकोनॉमी के लक्ष्य को पूरा करने के लिए उपयोगी हो सकता है.
ऐसा देखा जाता है कि लगभग 300 साल पहले की योजना का पालन किया जा रहा है और कई देश एडम स्मिथ द्वारा कहे गए कुछ सिद्धांतों पर आगे बढ़ रहे हैं और उदाहरण दिए गए हैं कि उन्हें कैसे वज्रपात किया गया है। यूएसए, यूरोप, जापान, सिंगापुर, हांगकांग को इनमें से एक सिद्धांत का उदाहरण कहा जाता है।
सन् 1990 के बाद हिंदुस्तान ने अपने बाजार के दरवाजे विदेशी कंपनियों के लिए खोल दिए। सफेद हाथी बन चुकी सरकारी कंपनियों के विनिवेश की पहल हिंदुस्तान ने की। बीते वर्ष फरवरी में प्रधानमंत्री मोदी का एक बयान काफी चर्चा में रहा था। एक एजेंसी को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि यह अवधारणा आज के दौर में लागू नहीं होती है कि सरकार को उद्योग चलाने चाहिए और उद्योग के मालिक होने चाहिए। यह न तो आवश्यक है और न ही संभव है। इसलिए सरकार को व्यापार में नहीं पड़ना चाहिए।
आपको बता दें कि एडम स्मिथ के सिद्धांत जैसे एडम स्मिथ की जीडीपी गणना, एडम स्टिम का सोना-चांदी आधारित अर्थव्यवस्था के खिलाफ सिद्धांत, उदार आर्थिक नीतियां प्रचलित हैं, और यदि इनमें से कुछ सिद्धांतों को लागू किया जाता है, तो हिंदुस्तान तय वक्त में 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बन सकता है।
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