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Up Kiran, Digital Desk: भारत में आज उस काले अध्याय को 50 साल पूरे हो गए, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा की थी। इस मौके पर विपक्ष के नेताओं ने इसे 'वर्तमान का आईना' बताया है, और चेतावनी दी है कि आज भी देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक संस्थानों पर खतरा मंडरा रहा है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस दिन को भारतीय लोकतंत्र के लिए एक 'काला दिन' बताते हुए कहा कि यह समय हमें उन ताकतों के खिलाफ एकजुट होने की याद दिलाता है जो लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कमजोर करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि आपातकाल से सबक सीखना ज़रूरी है ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न आए।

वहीं, तृणमूल कांग्रेस (TMC) की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी आपातकाल को लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त कीं। उन्होंने कहा कि आज भी देश में ऐसी ही स्थितियाँ बन रही हैं जहाँ नागरिकों की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जा रहा है और असहमति की आवाज़ को दबाया जा रहा है। उन्होंने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा और लोकतंत्र को मजबूत करने का आह्वान किया।

कई विपक्षी नेताओं ने यह आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार भी आपातकाल जैसी प्रवृत्तियाँ दिखा रही है, जहाँ विरोधियों को निशाना बनाया जा रहा है, मीडिया को नियंत्रित किया जा रहा है और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने इसे एक खतरनाक संकेत बताया और देश के लोगों से अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति जागरूक रहने का आग्रह किया।

यह अवसर न केवल इतिहास को याद करने का है, बल्कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में लोकतंत्र के सामने खड़ी चुनौतियों पर विचार करने का भी है। विपक्षी नेताओं के बयान भारत में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए चल रही बहस को और गहरा करते हैं।

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