
बुधवार को दक्षिण-पश्चिमी ऑस्ट्रेलियाई तट से काफी दूर समुद्र में 6.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। हालांकि इस भूकंप के बाद किसी भी तरह की सुनामी की चेतावनी जारी नहीं की गई है। अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र अल्बानी से करीब 2,069 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में हिंद महासागर में स्थित था और इसकी गहराई लगभग 10 किलोमीटर थी।
संयुक्त ऑस्ट्रेलियाई सुनामी चेतावनी केंद्र (JATWC) ने यह साफ कर दिया कि इस भूकंप से ऑस्ट्रेलिया या अंटार्कटिका के लिए कोई सुनामी खतरा नहीं है।
भूकंप क्यों आते हैं?
भूकंप पृथ्वी की सतह पर होने वाली एक स्वाभाविक और अचानक घटना है, जो अक्सर टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों के कारण होती है। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, अलग होती हैं या एक-दूसरे के नीचे खिसकती हैं, तो धरती की सतह पर कंपन उत्पन्न होता है जिसे हम भूकंप के रूप में महसूस करते हैं।
महासागर में भूकंप के पीछे के प्रमुख कारण
टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल
पृथ्वी की बाहरी सतह अलग-अलग टुकड़ों में बंटी हुई है जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये प्लेट्स हर समय बहुत धीमी गति से इधर-उधर खिसकती रहती हैं। जब महासागर के नीचे ये प्लेट्स टकराती हैं या एक-दूसरे से अलग होती हैं, तो भूकंप की स्थिति बनती है।
ज्वालामुखीय गतिविधियां
समुद्र के नीचे कई सक्रिय ज्वालामुखी होते हैं। जब इनमें विस्फोट होता है या इनकी जमी हुई मैग्मा प्लेट्स के नीचे से बाहर निकलने लगती है, तब भी भूकंप की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
समुद्री भूकंप के प्रभाव
सुनामी का खतरा
जब भूकंप समुद्र के अंदर होता है तो समुद्र के तल में हलचल की वजह से पानी का स्तर तेजी से ऊपर-नीचे होता है, जिससे विशाल लहरें बनती हैं जिन्हें सुनामी कहा जाता है। ये लहरें तटीय क्षेत्रों में भारी तबाही का कारण बन सकती हैं समुद्री जीवन पर असर
समुद्र के भीतर रहने वाले जीवों और प्रवाल भित्तियों को भूकंप के कारण नुकसान पहुंच सकता है। उनके प्राकृतिक आवासों में बदलाव से जैव विविधता को खतरा होता है। इसके अलावा, अगर सुनामी आती है तो वह समुद्री और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र को पूरी तरह से नष्ट कर सकती है।
हालांकि इस बार ऑस्ट्रेलिया के पास ऐसा कोई खतरा सामने नहीं आया है, लेकिन यह घटना हमें याद दिलाती है कि समुद्र के नीचे की हलचलें कितनी गंभीर हो सकती हैं और इनके लिए तैयारी हमेशा जरूरी है।
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