
Up Kiran, Digital Desk: आजकल युवाओं (Young Generation) में डिप्रेशन (Depression) और मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। दुख की बात यह है कि इस बीमारी को ठीक से न समझा जाए, तो इसका परिणाम बहुत भयानक हो सकता है। एक हालिया अध्ययन (Study) ने एक बेहद अहम जानकारी सामने रखी है युवा लड़कियों (Young Females) और लड़कों (Males) के डिप्रेशन को अनुभव करने के तरीके में ज़मीन-आसमान का अंतर (Difference) होता है, और इसी अंतर की वजह से माता-पिता या टीचर्स, लड़कों के लक्षण अक्सर पहचान नहीं पाते हैं।
इस शोध (Research) का मकसद यही है कि माता-पिता और आसपास के लोग दोनों वर्गों में डिप्रेशन को अलग-अलग तरीके से पहचानें।
लड़कियों का डिप्रेशन (आंतरिक लड़ाई): लड़कियाँ अक्सर भावनात्मक (Emotional) रूप से ज़्यादा खुलकर बात करती हैं। इसलिए जब वह डिप्रेशन से जूझ रही होती हैं, तो उनका अनुभव ज्यादातर आंतरिक और भावनात्मक होता है:
ज़्यादा उदास दिखना: वह ज़्यादा दुखी या हताश रहती हैं। रोने का व्यवहार उनमें आम हो सकता है।
बातचीत पर ज़ोर: अपनी भावनाओं के बारे में दोस्तों या परिवार से खुलकर बात करना पसंद कर सकती हैं, जिससे एक 'सोशल सपोर्ट' (Social Support) भी मिलता है।
खाने और सोने में बदलाव: उनके खाने-पीने की आदतों में बड़ा बदलाव आता है, जैसे कम सोना या बहुत ज़्यादा सोना।
लड़कों का डिप्रेशन (बाहरी लड़ाई/छिपा हुआ)
अध्ययन में पाया गया कि लड़कों का डिप्रेशन अक्सर उनकी 'मर्दानी' छवि और समाज के दबाव की वजह से छिपा रहता है। वे उदास होने की जगह ज़्यादा गुस्सा और चिड़चिड़ापन (Irritation) दिखाते हैं।
क्रोध और चिड़चिड़ापन: उदास होने की बजाय, वो ज़्यादातर समय गुस्सा (Anger) और क्रोध दिखाते हैं।
बाहर के कामों में रूचि: समस्याओं से बचने के लिए वे तेज़ी से बाहरी कामों (जैसे ज़रूरत से ज़्यादा गेम्स, जुआ या शराब पीना) में व्यस्त हो जाते हैं।
रिस्क लेने की आदत: समस्याओं को खुलकर मानने के बजाय, उनमें अचानक खतरनाक जोखिम (Risky Behavior) लेने की आदतें बढ़ जाती हैं।
अलग-थलग पड़ जाना: वे अपने दोस्तों (Friends) और परिवार (Family) से खुद को अलग (Isolation) कर लेते हैं, और बात करना कम कर देते हैं।
समाधान: माता-पिता और शिक्षक को इस शोध पर ख़ास ध्यान देने की ज़रूरत है। यह समझें कि युवा लड़कों में डिप्रेशन हमेशा 'दुखी' चेहरे से नहीं दिखता, बल्कि वह 'क्रोधित' और 'रिस्क टेकर' (Risk Taker) के रूप में भी सामने आ सकता है। डिप्रेशन कोई कमजोरी नहीं है यह एक बीमारी है। इसलिए दोनों को एक सुरक्षित माहौल (Safe Environment) दें ताकि वे खुलकर बात कर सकें।