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कांग्रेस की Bharat Jodo Yatra सोमवार को श्रीनगर में समाप्त हुई। 2014 में कांग्रेस देश की सत्ता से बाहर हो गई। लुप्त होते आधार और पार्टी संगठन को पुनर्जीवित करने के लिए राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक 4000 किमी से अधिक की यात्रा की। इस मौके पर राहुल गांधी ने बेरोजगारी, आर्थिक और सामाजिक असंतुलन जैसे मुद्दों को सामने रखा। Bharat Jodo Yatra खत्म होने के बाद अब सवाल उठा कि राहुल गांधी का अगला प्लान क्या है।

5 महीने लंबी Bharat Jodo Yatra के दौरान इसे अराजनीतिक बताया गया था। मगर किसी भी दल के नेता की यात्रा हमेशा राजनीति से जुड़ी होती है। इसलिए राहुल गांधी की इस यात्रा का संबंध कांग्रेस की राजनीति से है। राहुल गांधी के दौरे से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह और मनोबल बढ़ा है। अब राहुल गांधी के नेतृत्व में दूसरे चरण की पदयात्रा की घोषणा गई है। कांग्रेस ने 2024 तक जमीन पर उतरने और खुद को सक्रिय रखने के लिए माहौल बनाने का खास प्लान बनाया है।

कांग्रेस का हाथ से हाथ जोड़ो अभियान

राहुल गांधी की Bharat Jodo Yatra खत्म होने से पहले कांग्रेस ने एक और कैंपेन शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने देश के अलग-अलग राज्यों में गणतंत्र दिवस के मौके पर हाथ से हाथ जोड़ो अभियान शुरू किया है। यह अभियान 3 महीने तक चलेगा। कांग्रेस नेता-कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर राहुल गांधी के Bharat Jodo Yatra के अनुभव के पत्र के साथ लोगों से रूबरू होंगे। इसके तहत जिला स्तरीय व राज्य स्तरीय सभा व रैलियों का आयोजन किया जाएगा।

राहुल गांधी फिर पदयात्रा निकालेंगे

हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के बाद, कांग्रेस Bharat Jodo Yatra अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत करने की योजना बना रही है। एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कांग्रेसी नेता ने कहा कि पदयात्रा का दूसरा चरण राहुल गांधी के नेतृत्व में शुरू होगा। इस वॉक का फाइनल रोडमैप नहीं बना। मगर दूसरा चरण जरूर होगा जिसमें राहुल गांधी हिस्सा लेंगे।

राहुल गांधी के नेतृत्व में पदयात्रा का दूसरा चरण तब होगा जब देश के अहम राज्यों में विधानसभा इलेक्शन का माहौल है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक जैसे राज्यों में इलेक्शन होते हैं। लोकसभा इलेक्शन अगले साल होंगे। कांग्रेस ने पूरे साल 2023 तक सक्रिय रहने का प्लान बनाया है। छत्तीसगढ़ के रायपुर में 24 से 26 फरवरी तक कांग्रेस का अधिवेशन होगा। जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे संगठनात्मक फैसले लेंगे।

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