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Up Kiran, Digital Desk: भारत में हवाई दुर्घटनाओं की गहन जांच के दौरान अक्सर एक बड़ी कमी खलती है – वो है कॉकपिट के अंदर की वीडियो रिकॉर्डिंग का अभाव। इसी कमी ने 2010 के मंगलुरु एयर इंडिया एक्सप्रेस हादसे के बाद से कॉकपिट कैमरों को विमानों में अनिवार्य करने की बहस को एक बार फिर तेज कर दिया है।

जांचकर्ता अक्सर कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) से मिली जानकारी पर निर्भर करते हैं। ये 'ब्लैक बॉक्स' दुर्घटना के आखिरी पलों की ऑडियो और तकनीकी डेटा तो देते हैं, लेकिन पायलटों की गतिविधियों, उनकी शारीरिक स्थिति या कॉकपिट के अंदर के किसी भी विजुअल साक्ष्य का अभाव जांच को जटिल बना देता है।

 मंगलुरु हादसे की जांच में पाया गया था कि पायलट नींद की कमी के कारण दिमागी रूप से भ्रमित था। ऐसे में, यदि कॉकपिट में कैमरा होता, तो पायलट के व्यवहार या उसकी स्थिति को देखकर दुर्घटना के कारणों को और स्पष्टता से समझा जा सकता था।

भारत में नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) 2013-14 से ही विमानों में कॉकपिट कैमरे लगाने के विचार पर मंथन कर रहा है। 2017 में भी इस विषय पर दोबारा चर्चा हुई, जब एक एयरलाइंस ने सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण इसकी वकालत की थी।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी, अमेरिकी राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड (NTSB) ने 2010 से ही कॉकपिट वीडियो रिकॉर्डर (CVRs) की सिफारिश की है। यूरोपीय संघ विमानन सुरक्षा एजेंसी (EASA) भी इसी तरह के प्रस्तावों पर विचार कर रही है।

समर्थकों का तर्क है कि कॉकपिट कैमरे दुर्घटनाओं की जांच को नाटकीय रूप से बेहतर बना सकते हैं। ये न केवल पायलटों की गतिविधियों और प्रतिक्रियाओं को समझने में मदद करेंगे, बल्कि संभावित पायलट अक्षमता या अप्रत्याशित बाहरी घटनाओं की पहचान भी आसान बनाएंगे। इसके अलावा, इनसे पायलट प्रशिक्षण में भी सुधार किया जा सकता है।

पायलट संघों ने हमेशा निजता के हनन की आशंका और फुटेज के संभावित दुरुपयोग को लेकर चिंता जताई है। इसका एक संभावित समाधान यह है कि फुटेज का उपयोग केवल दुर्घटना जांच के उद्देश्यों तक ही सीमित रखा जाए, न कि पायलटों की दिनचर्या की निगरानी के लिए।

एयर इंडिया एक्सप्रेस हादसे की यादें ताजा होने के साथ, सुरक्षा और पायलटों की निजता के बीच संतुलन साधने की यह बहस और भी महत्वपूर्ण हो गई है। वैश्विक विमानन उद्योग के लिए यह एक चुनौती है कि कैसे पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाते हुए भी कर्मचारियों के अधिकारों का सम्मान किया जाए।

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