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Up Kiran, Digital Desk: भारत की विशाल समुद्री सीमा सिर्फ एक नक्शे पर खिंची लकीर नहीं है, बल्कि यह अपने अंदर एक बहुत बड़ा खजाना छिपाए हुए है। इसी खजाने, यानी हमारी "मत्स्य संपदा" (Fisheries Wealth), का पूरी तरह से इस्तेमाल करने के लिए सरकार ने एक बहुत बड़ा और क्रांतिकारी कदम उठाया है।

क्या है यह बड़ा कदम: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में आधुनिक और हाई-टेक गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाली नौकाओं (Deep-Sea Fishing Vessels) को हरी झंडी दिखाई। इस मौके पर उन्होंने कहा कि ये नावें भारत के मछली पालन क्षेत्र की तकदीर बदल कर रख देंगी।

अमित शाह ने क्यों कहा इसे 'गेम चेंजर'?

अमित शाह ने बताया कि हमारे देश के पास हजारों किलोमीटर लंबा समुद्र तट है, लेकिन अभी तक हम इसकी असली क्षमता का पूरा उपयोग नहीं कर पा रहे थे। हमारे मछुआरे पारंपरिक नावों से तट के आसपास ही मछली पकड़ पाते थे। लेकिन अब:

गहरे समुद्र तक होगी पहुंच: ये नई, आधुनिक नावें हमारे मछुआरों को सुरक्षित रूप से गहरे समुद्र में जाने में मदद करेंगी, जहां ज्यादा और अच्छी गुणवत्ता वाली मछलियां मिलती हैं।

मछुआरों की आय बढ़ेगी, सुरक्षा भी: इससे न केवल हमारे मछुआरे भाइयों की आय में कई गुना वृद्धि होगी, बल्कि उनकी जान का जोखिम भी कम होगा। ये नावें हर मौसम में सुरक्षित रहने के लिए बनाई गई हैं।

देश की 'ब्लू इकोनॉमी' को मिलेगी रफ्तार: जब ज्यादा मछली पकड़ी जाएगी, तो देश से मछली का निर्यात (export) भी बढ़ेगा। इससे देश की 'ब्लू इकोनॉमी' (Blue Economy), यानी समुद्री संसाधनों से होने वाली कमाई को जबरदस्त बूस्ट मिलेगा।

यह पहल प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का हिस्सा है, जिसका सपना भारत को मछली पालन के क्षेत्र में दुनिया का नंबर एक देश बनाना है। यह कदम हमारे मछुआरों को सिर्फ 'मछली पकड़ने वाला' नहीं, बल्कि 'समुद्री उद्यमी' बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक छलांग है।