Up Kiran,Digitl Desk: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विदेशों में शरण लेने वाले भगोड़े अपराधियों के खिलाफ "जीरो-टॉलरेंस" की नीति अपनाने का आह्वान किया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि ऐसे अपराधियों को वापस भारत लाकर न्याय के कठघरे में खड़ा करने के लिए केंद्र और राज्यों की एजेंसियों को मिलकर काम करना होगा।
क्यों दिया गया अंतरराष्ट्रीय स्तर की जेलें बनाने का निर्देश?
अमित शाह ने 25वें अखिल भारतीय पुलिस महानिदेशक/महानिरीक्षक सम्मेलन को संबोधित करते हुए एक बहुत ही महत्वपूर्ण और रणनीतिक निर्देश दिया। उन्होंने सभी राज्यों से अपने यहां कम से कम एक जेल को "अंतरराष्ट्रीय मानकों" के अनुरूप बनाने के लिए कहा है।
इसके पीछे एक बड़ी वजह है। अक्सर देखा गया है कि भारत से भागे हुए अपराधी विदेशी अदालतों में भारत की जेलों की खराब स्थिति का बहाना बनाकर प्रत्यर्पण (Extradition) से बच निकलते हैं। वे मानवाधिकारों का हवाला देकर यह दलील देते हैं कि भारत की जेलों में उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं होगा। अमित शाह ने कहा कि अगर हमारे पास अंतरराष्ट्रीय स्तर की जेलें होंगी, तो भगोड़े अपराधियों के पास यह बहाना नहीं बचेगा और उन्हें भारत वापस लाने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
पुराने कानूनों की जगह लेंगे नए आपराधिक कानून
गृह मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि देश की आपराधिक न्याय प्रणाली एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने के पुराने कानून जैसे भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को अब नए कानूनों - भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम से बदला जा रहा है।
उन्होंने पुलिस बलों से इन नए कानूनों को जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कमर कसने को कहा। शाह ने जांच में तकनीक और फोरेंसिक विज्ञान का अधिक से अधिक इस्तेमाल करने पर भी बल दिया ताकि अपराधियों को सजा दिलाने की दर (conviction rate) को बढ़ाया जा सके।
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