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Up kiran,Digital Desk : दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट कोलंबस स्कूल के 10वीं कक्षा के छात्र, 16 साल के शौर्य पाटिल की आत्महत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. शौर्य ने राजेंद्र नगर मेट्रो स्टेशन पर ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दे दी. इस मामले में चार शिक्षकों को सस्पेंड तो कर दिया गया है, लेकिन शौर्य के माता-पिता का कहना है कि यह न्याय नहीं है. वे अपने बेटे की मौत के लिए सीधे-सीधे स्कूल प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और उनके आरोपों ने स्कूल के अंदर के माहौल पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

"बस 10 दिन और रुक जा बेटा..." पिता का वादा जो पूरा न हो सका

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए शौर्य के पिता ने जो बताया, वो किसी भी मां-बाप का दिल दहला देने के लिए काफी है. उन्होंने कहा, "मेरा बेटा कई दिनों से स्कूल बदलने की जिद कर रहा था. वह बार-बार कहता था कि स्कूल में उसे बहुत परेशान किया जा रहा है."

पिता के मुताबिक, आत्महत्या से ठीक एक दिन पहले ही उन्होंने अपने बेटे से वादा किया था कि वे जल्द ही उसका स्कूल बदल देंगे. महाराष्ट्र के सांगली में शौर्य का अंतिम संस्कार कर दिया गया है, लेकिन परिवार टूटकर बिखर गया है. पिता ने रोते हुए बताया कि उनका बेटा डांस का दीवाना था और एक टैलेंट प्रतियोगिता भी जीत चुका था.

उन्होंने बताया, "शौर्य दूसरी कक्षा से इसी स्कूल में पढ़ रहा था, लेकिन जैसे ही वह 10वीं में आया, उसकी शिकायतें बढ़ गईं. वह बस एक ही रट लगाए हुए था- 'पापा, मेरा स्कूल बदल दो.' एक बार तो उसने यहां तक कह दिया था कि वह अब और बर्दाश्त नहीं कर पाएगा. मैंने उसे समझाया था- 'बस 10 दिन रह गए हैं बेटा, उसके बाद तो स्कूल वैसे भी बदल जाएगा.' काश, मैंने उसकी बात पहले सुन ली होती."

टीचर ने दी TC देने की धमकी, बेहोश होने पर उड़ाया मज़ाक

परिवार द्वारा दर्ज कराई गई FIR में चार शिक्षकों पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं. FIR के मुताबिक:

"टीचरों की लॉबी ने मेरे बेटे को भी..." - सामने आ रहे दूसरे अभिभावक

इस दर्दनाक घटना के बाद, कई अन्य अभिभावक भी शौर्य के परिवार के समर्थन में आ गए हैं और स्कूल के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. एक परिचित दोस्त ने बताया कि शौर्य ड्रामा और एक्टिंग में बहुत अच्छा था, लेकिन दूसरे विषयों में उसके नंबर कम आते थे, जिस वजह से कुछ टीचर उसे लगातार ताने मारते थे. यह सब पिछले एक साल से चल रहा था, लेकिन पिछले दो महीनों में हालात बद से बदतर हो गए थे.

एक और महिला ने अपनी पहचान न बताने की शर्त पर खुलासा किया कि उनके बेटे के साथ भी इसी स्कूल में ऐसा ही हुआ था. उन्होंने कहा, "मेरा बेटा डिबेट में बहुत अच्छा था, लेकिन स्कूल में 'कुछ टीचरों की लॉबी' है जो सिर्फ अपने पसंदीदा बच्चों को ही सपोर्ट करती है. मेरे बेटे की हर उपलब्धि को नजरअंदाज किया गया और क्लास में टीचर उसका मज़ाक बनाती थीं. उस सदमे से मेरा बेटा आज तक पूरी तरह उबर नहीं पाया है."

यह घटना सिर्फ एक छात्र की आत्महत्या नहीं है, बल्कि यह हमारे एजुकेशन सिस्टम पर एक बड़ा सवाल है कि आखिर स्कूलों में ऐसा माहौल क्यों बन रहा है, जहां एक प्रतिभाशाली बच्चा अपनी जान देने पर मजबूर हो जाता है.