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Up Kiran, Digital Desk: अप्रैल का महीना भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए मिला-जुला रहा, खासकर दोपहिया और कमर्शियल वाहन सेगमेंट में बिक्री में नरमी देखी गई। देश की प्रमुख कंपनियों जैसे हीरो मोटोकॉर्प, बजाज ऑटो और अशोक लेलैंड ने अपने अप्रैल 2024 के बिक्री आंकड़े जारी किए हैं, जिनमें पिछले साल की तुलना में गिरावट दर्ज की गई है।

हीरो मोटोकॉर्प को लगा बड़ा झटका

देश की सबसे बड़ी दोपहिया वाहन निर्माता हीरो मोटोकॉर्प की थोक बिक्री (डीलरों को भेजी गई गाड़ियां) अप्रैल 2024 में 43% घटकर 3,05,406 यूनिट रह गई। पिछले साल अप्रैल 2023 में यह आंकड़ा 5,33,585 यूनिट था। बिक्री में इस बड़ी गिरावट की मुख्य वजह कंपनी के धारूहेड़ा, गुरुग्राम, हरिद्वार और नीमराणा प्लांट में 17 से 19 अप्रैल तक उत्पादन का अस्थायी रूप से बंद रहना था।

घरेलू बाजार में भी बिक्री पिछले साल के 5,13,296 यूनिट से घटकर 2,88,524 यूनिट रह गई। वहीं, निर्यात (एक्सपोर्ट) भी 20,289 यूनिट (अप्रैल 2023) से घटकर 16,882 यूनिट पर आ गया। हालांकि, कंपनी ने बताया कि अप्रैल में उसके पेट्रोल इंजन वाले दोपहिया वाहनों (ICE टू-व्हीलर्स) के 5.05 लाख रजिस्ट्रेशन हुए, जो बाजार में मांग का संकेत देता है।

बजाज ऑटो की बिक्री भी घटी, पर एक्सपोर्ट बढ़ा

उधर, बजाज ऑटो की कुल बिक्री में भी सालाना आधार पर 6% की गिरावट आई। कंपनी ने अप्रैल 2024 में 3,65,810 गाड़ियां बेचीं, जबकि अप्रैल 2023 में यह संख्या 3,88,256 थी।

हालांकि, बजाज के लिए घरेलू बिक्री 11% घटकर 2,20,615 यूनिट रही (पिछले साल 2,49,083 यूनिट), लेकिन निर्यात के मोर्चे पर कंपनी ने अच्छा प्रदर्शन किया। बजाज का एक्सपोर्ट 4% बढ़कर 1,45,195 यूनिट हो गया, जो पिछले साल इसी महीने 1,39,173 यूनिट था।

अशोक लेलैंड की बिक्री में भी नरमी

कमर्शियल वाहन बनाने वाली प्रमुख कंपनी अशोक लेलैंड की बिक्री भी अप्रैल में प्रभावित हुई। कंपनी की कुल बिक्री 6% घटकर 13,421 यूनिट रही, जबकि अप्रैल 2023 में उसने 14,271 गाड़ियां बेची थीं।

घरेलू बिक्री 7% घटकर 12,509 यूनिट (पिछले साल 13,446 यूनिट) रही। इसमें भारी और मध्यम कमर्शियल वाहनों (M&HCV) की बिक्री 14% घटकर 7,406 यूनिट रह गई। हालांकि, हल्के कमर्शियल वाहनों (LCV) की बिक्री में थोड़ी बढ़ोतरी देखी गई और यह अप्रैल 2023 के 4,835 यूनिट से बढ़कर इस साल अप्रैल में 5,103 यूनिट हो गई।

कुल मिलाकर, अप्रैल का महीना इन प्रमुख ऑटो कंपनियों के लिए बिक्री के लिहाज से चुनौतीपूर्ण रहा, जिसमें उत्पादन में रुकावट और घरेलू मांग में नरमी जैसे कारक शामिल रहे।

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