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Up Kiran,Digitl Desk: प्रेग्नेंसी एक बहुत ही खूबसूरत सफर होता है, लेकिन इस दौरान एक महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। इन्हीं में से एक आम समस्या है पीठ दर्द। जैसे-जैसे बच्चे का विकास होता है, माँ के शरीर का पोस्चर बदलने लगता है और रीढ़ की हड्डी पर वजन बढ़ जाता है। इससे कमर के निचले हिस्से, कूल्हों या कंधों में दर्द हो सकता है। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सही देखभाल से आप प्रेग्नेंसी के दौरान और उसके बाद भी अपनी रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ रख सकती हैं।

प्रेग्नेंसी में पीठ दर्द क्यों होता है: गर्भावस्था के दौरान पीठ में दर्द होना बहुत सामान्य है। यह अक्सर कमर के निचले हिस्से में शुरू होता है। इसके मुख्य कारण हैं बच्चे का बढ़ता वजन, हार्मोन में बदलाव और शरीर की मुद्रा (पोस्चर) का बदलना। शरीर का अतिरिक्त वजन आपको आगे की ओर झुकाता है, जिससे रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है। कई बार नसों पर दबाव के कारण कुछ महिलाओं को कूल्हों या जांघों में भी दर्द महसूस होता है।

प्रेग्नेंसी के दौरान स्वस्थ पीठ के लिए कुछ आसान टिप्स:

सही पोस्चर बनाए रखें: हमेशा सीधे खड़े होने की कोशिश करें और झुककर न चलें। अपने कंधों को पीछे और छाती को थोड़ा ऊपर उठाकर रखें। बैठते समय ऐसी कुर्सी का इस्तेमाल करें जो आपकी कमर को सहारा दे। जरूरत पड़ने पर कमर के पीछे एक छोटा तकिया भी लगा सकती हैं। सही पोस्चर रीढ़ पर तनाव कम करता है।

नियमित रूप से व्यायाम करें: हल्के व्यायाम बहुत फायदेमंद होते हैं। पैदल चलना, तैरना और प्रेग्नेंसी वाले योग (prenatal yoga) अच्छे विकल्प हैं। मजबूत पीठ और पेट की मांसपेशियां आपकी रीढ़ को सहारा देती हैं। ऐसे व्यायामों से बचें जिनसे गिरने का खतरा हो। कोई भी नया व्यायाम शुरू करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

चीजें सावधानी से उठाएं: कोई भी सामान उठाते समय अपनी कमर से नहीं, बल्कि घुटनों को मोड़कर झुकें। सामान को अपने शरीर के करीब रखें। प्रेग्नेंसी के आखिरी महीनों में भारी सामान उठाने से बचें।

सहारे के लिए सही चीजों का इस्तेमाल करें: आरामदायक और सही फिटिंग वाले जूते पहनें, इससे संतुलन बनाने में मदद मिलती है। कुछ महिलाएं कमर और पेट को सहारा देने के लिए मैटरनिटी बेल्ट का भी इस्तेमाल करती हैं। सोते समय घुटनों के बीच या पेट के नीचे तकिया रखने से भी रीढ़ पर दबाव कम होता है।

गर्म या ठंडी सिकाई करें: गर्म पानी की सिकाई से मांसपेशियों को आराम मिलता है, जबकि ठंडी सिकाई सूजन को कम करती है। बहुत ज्यादा गर्म या ठंडे का इस्तेमाल न करें। पेट पर सिकाई करने से पहले डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

खूब पानी पिएं और अच्छा खाएं: भरपूर पानी पिएं और संतुलित आहार लें। सही पोषण मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत रखता है। हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम और विटामिन डी का सेवन करें। बहुत ज्यादा वजन बढ़ाने से बचें, क्योंकि इससे रीढ़ पर दबाव बढ़ता है।

डिलीवरी के बाद अपनी पीठ का ख्याल कैसे रखें?

डिलीवरी के बाद भी कुछ महिलाओं को पीठ दर्द की शिकायत रह सकती है। बच्चे को दूध पिलाने और उठाने से रीढ़ पर जोर पड़ सकता है। बच्चे को दूध पिलाते समय आरामदायक कुर्सी पर बैठें और अपनी पीठ को सहारा दें। हल्के व्यायाम जारी रखें ताकि आपकी पीठ और पेट की मांसपेशियां फिर से मजबूत हो सकें। बच्चे को उठाते समय हमेशा घुटनों को मोड़ें, कमर को नहीं। जब भी मौका मिले, छोटे-छोटे ब्रेक लें और आराम करें।

डॉक्टर को कब दिखाएं; आमतौर पर प्रेग्नेंसी का पीठ दर्द हल्का होता है और घरेलू देखभाल से ठीक हो जाता है। लेकिन अगर दर्द बहुत तेज हो या कुछ दिनों से ज्यादा बना रहे, तो डॉक्टर से सलाह लें। अगर आपको सुन्नपन, कमजोरी या बुखार महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।