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Up Kiran, Digital Desk: हर साल की तरह इस बार भी 2 अक्टूबर को देशभर में महात्मा गांधी की जयंती मनाई जा रही है। लेकिन 2025 में यह दिन सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि एक सोच को दोबारा याद करने का मौका है। इस बार गांधी जयंती पर सबसे बड़ा सवाल यही है — क्या आज की पीढ़ी गांधी के रास्ते को समझ पा रही है?
देश गांधी जी की 156वीं जयंती मना रहा है, लेकिन उनकी शिक्षाएं, खासकर सत्य और अहिंसा, आज पहले से भी ज्यादा जरूरी लगती हैं।
युवाओं के लिए आदर्श बन रहे हैं गांधी के विचार
आज की दुनिया तेज़ी से बदल रही है और युवाओं के लिए हर दिन एक नई चुनौती लेकर आती है। ऐसे में गांधी के विचार युवाओं के लिए एक मजबूत नैतिक आधार बन सकते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में गांधी जयंती के मौके पर भाषण, लेख प्रतियोगिता और जन-जागरूकता कार्यक्रमों के ज़रिए नई पीढ़ी को उनके सिद्धांतों से जोड़ा जा रहा है।
गुजरात के पोरबंदर से शुरू हुई एक महान यात्रा
2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी ने वकालत की पढ़ाई के बाद दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। यहीं उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा की ताकत को पहली बार इस्तेमाल किया। यह वही सोच थी जो बाद में भारत में आजादी के आंदोलन की रीढ़ बनी।
जब पूरी दुनिया ने माना गांधी को मार्गदर्शक
गांधी जी की सोच केवल भारत तक सीमित नहीं रही। अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग जूनियर और दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला जैसे नेता यह मानते हैं कि उनका संघर्ष गांधी की सीख से ही प्रेरित था। गांधी ने दिखाया कि असमानता और अन्याय से लड़ने का तरीका बंदूक नहीं, बल्कि विचारों की शक्ति है।
राष्ट्र के सम्मान में मनाई जाती है गांधी जयंती
भारत में यह दिन तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है। हर साल 2 अक्टूबर को पूरे देश में सफाई अभियान, सांस्कृतिक कार्यक्रम, विचार गोष्ठियां और श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किए जाते हैं। राजधानी दिल्ली के राजघाट पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित कई नेता गांधी जी की समाधि पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद करते हैं।
विश्व स्तर पर भी मनाया जाता है ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’
संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी गांधी जी के विचारों को सम्मान देते हुए 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया है। यह साबित करता है कि बापू की सोच केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
आज की दुनिया में गांधी की सोच क्यों है सबसे जरूरी?
जब चारों ओर हिंसा, द्वेष और असहिष्णुता की घटनाएं बढ़ रही हैं, तब गांधी का रास्ता इंसानियत के लिए एक रोशनी की तरह है। उनकी बातें शायद आज पहले से भी ज्यादा मौजू हैं।