img

Kashmir Election 2024: तीन दशक पहले अपनी मातृभूमि से विस्थापित हुए कश्मीरी पंडित समुदाय अब राजनीतिक भागीदारी के माध्यम से अपनी जड़ों से फिर से जुड़ने का प्रयास कर रहा है। चुनाव नजदीक आते ही कश्मीर से करीब 14 कश्मीरी पंडित उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, और तीसरे चरण में और भी उम्मीदवार नामांकन दाखिल करने की उम्मीद है।

8 अक्टूबर को जब जम्मू-कश्मीर चुनाव के नतीजे घोषित होने वाले हैं, कश्मीरी पंडित समुदाय उत्सुकता से नतीजों का इंतजार कर रहा है। वे घाटी में सम्मानजनक वापसी और उचित पुनर्वास समेत अपनी चिंताओं को दूर करने के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा में प्रतिनिधित्व की उम्मीद करते हैं। परंपरागत रूप से कश्मीरी पंडित केवल श्रीनगर की हब्बा कदल सीट से चुनाव लड़ते थे, जहाँ पंडित मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है।

इस चुनाव में समुदाय ने अपना ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें उम्मीदवार श्रीनगर के अलावा पुलवामा, अनंतनाग और उत्तरी कश्मीर से भी इलेक्शन लड़ रहे हैं।

बीते इलेक्शनों के उलट कई पार्टियों ने कश्मीरी पंडित उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जबकि कुछ निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। पीडीपी के प्रवक्ता मोहित भान ने कहा, "पिछली बाधाओं के बावजूद पंडितों में राजनीतिक भागीदारी के लिए नया उत्साह है। ये अच्छी बात है कि कश्मीरी पंडित हिस्सा ले रहे हैं।"

कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टिकू ने कहा, "अगर इसके पीछे कोई एजेंसी नहीं है तो यह एक अच्छा बदलाव है। मैंने देखा कि पुलवामा में एक महिला चुनाव लड़ रही है, लोग उसका किस तरह स्वागत कर रहे हैं, मगर इसके पीछे कोई एजेंडा नहीं होना चाहिए। हमें लोगों को राजनीति न करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, और हब्बा कदल में कई उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, वहां आम सहमति होनी चाहिए थी, फिर उम्मीद थी कि कोई कश्मीरी पंडित विधायक के रूप में चुना जा सकता है।"
 

--Advertisement--