img

Up Kiran, Digital Desk: बेंगलुरु, जिसे अक्सर भारत की सिलिकॉन वैली कहा जाता है, तेजी से शहरीकरण और बढ़ती आबादी के साथ-साथ कचरा प्रबंधन की एक बड़ी चुनौती का भी सामना कर रहा है। पारंपरिक तरीके से कचरे को लैंडफिल साइटों में फेंकना, शहर और उसके आसपास के पर्यावरण के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर रहा है। लेकिन अब, कई इनोवेटिव स्टार्टअप्स इस समस्या से निपटने और कचरे को लैंडफिल तक पहुँचने से रोकने के लिए नए सिरे से काम कर रहे हैं।

ये स्टार्टअप्स कचरे को सिर्फ एक बेकार चीज़ के रूप में देखने के बजाय, उसे एक मूल्यवान संसाधन मान रहे हैं। उनका ध्यान कचरे को उत्पन्न होने के स्रोत से ही अलग करने, उसे रीसायकल करने, अपसाइकल करने या उससे ऊर्जा या अन्य उपयोगी उत्पाद बनाने पर केंद्रित है। उनका लक्ष्य 'सर्कुलर इकोनॉमी' (चक्रीय अर्थव्यवस्था) के सिद्धांत को बढ़ावा देना है, जहाँ कचरे का पुनः उपयोग होता है और कम से कम सामग्री लैंडफिल में जाती है।

ये कंपनियाँ अक्सर प्रौद्योगिकी का लाभ उठाती हैं - जैसे कि कचरा छँटाई के लिए AI, प्रोसेसिंग के लिए उन्नत मशीनरी, और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म। वे अलग-अलग प्रकार के कचरे, जैसे प्लास्टिक, जैविक कचरा, इलेक्ट्रॉनिक कचरा और निर्माण सामग्री, को संभालने के लिए विशिष्ट समाधान विकसित कर रही हैं।

इन स्टार्टअप्स की कोशिश न केवल पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने की है, बल्कि कचरा प्रबंधन क्षेत्र में नए व्यावसायिक अवसर और रोजगार पैदा करने की भी है। वे नागरिकों, व्यवसायों और स्थानीय नगर पालिकाओं के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि कचरा संग्रहण और प्रसंस्करण की प्रक्रिया को अधिक कुशल और टिकाऊ बनाया जा सके।

यह पहल बेंगलुरु जैसे शहरों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जहाँ लैंडफिल साइटें तेजी से भर रही हैं और पर्यावरण प्रदूषण एक बड़ी चिंता का विषय है। इन स्टार्टअप्स का 'लैंडफिल-मुक्त' भविष्य की ओर बढ़ना, शहरी अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक आशाजनक मॉडल प्रस्तुत करता है और दिखाता है कि कैसे नवाचार और उद्यमिता पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं।

--Advertisement--