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Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की 15 निबंधित राजनीतिक पार्टियों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। चुनाव आयोग ने उन राजनीतिक दलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है, जो पिछले कई सालों से चुनावी गतिविधियों में शामिल नहीं हो पाए हैं। अगर ये दल अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं करते हैं, तो उनकी मान्यता रद्द की जा सकती है। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय ने इन दलों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेज दी है, जिसके बाद इनकी भविष्यवाणी तय की जाएगी।
क्या है मामला?
चुनाव आयोग ने उन राजनीतिक पार्टियों को नोटिस जारी किया है, जिन्होंने 2019 के बाद से कोई चुनाव नहीं लड़ा। भारतीय संविधान के तहत सूचीबद्ध पार्टियां सरकारी सुविधाओं और विशेष लाभों का लाभ उठाती हैं। लेकिन अगर कोई पार्टी लंबे समय तक निष्क्रिय रहती है, तो उसकी मान्यता को रद्द किया जा सकता है। इसी आधार पर चुनाव आयोग ने इन पार्टियों से जवाब मांगा था, लेकिन अधिकांश दलों ने इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया है।
कौन सी पार्टियां हैं खतरे में?
सीईओ कार्यालय की रिपोर्ट में 15 राजनीतिक दलों का उल्लेख किया गया है, जो चुनाव आयोग की कार्रवाई के घेरे में हैं। इनमें भारतीय आवाम एक्टिविस्ट पार्टी, भारतीय जागरण पार्टी, भारतीय युवा जनशक्ति पार्टी, एकता विकास महासभा पार्टी, गरीब जनता दल (सेक्युलर), जय जनता पार्टी, जनता दल हिंदुस्तानी, लोकतांत्रिक जनता पार्टी (सेक्युलर), मिथिलांचल विकास मोर्चा, राष्ट्रवादी युवा पार्टी, राष्ट्रीय सद्भावना पार्टी, राष्ट्रीय सदाबहार पार्टी, वसुधैव कुटुंबकम पार्टी, वसुंधरा जन विकास दल, और यंग इंडिया पार्टी जैसी छोटी और क्षेत्रीय पार्टियां शामिल हैं। ये सभी दल चुनावी गतिविधियों से पूरी तरह दूर हैं, और पिछले कुछ वर्षों से उनकी सक्रियता न के बराबर रही है।
क्या होगा अगला कदम?
अब पूरी जिम्मेदारी चुनाव आयोग पर है। आयोग यह निर्णय लेगा कि इन पार्टियों को निबंधित दलों की सूची में बनाए रखा जाए या उनकी मान्यता रद्द कर दी जाए। अगर इन दलों की मान्यता रद्द होती है, तो उन्हें मिलने वाली सभी सरकारी सुविधाएं समाप्त हो जाएंगी। चुनाव आयोग का यह कदम उसकी नीति का हिस्सा है, जिसमें निष्क्रिय और फर्जी राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
पिछले महीने भी आयोग ने बिहार की कुछ अन्य निष्क्रिय पार्टियों को सूची से बाहर कर दिया था। उम्मीद है कि इन 15 दलों के खिलाफ भी जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। इससे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और जनता का विश्वास बढ़ेगा।
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