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bihar politics: बिहार में आने वाले महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। विभिन्न राजनीतिक दल और गठबंधन अपने-अपने तरीके से मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में जुटे हैं। महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव ने पिछली बार की कमी को पूरा करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। पिछले चुनाव में दर्जन भर सीटें कम मिलने के कारण वे मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे और इस बार वे किसी भी कीमत पर चूकना नहीं चाहते।

महागठबंधन की रणनीति और तेजस्वी की भूमिका

तेजस्वी यादव आरजेडी के सीएम चेहरे हैं। निरंतर बैठकें कर रहे हैं और अपने समर्थकों को सक्रिय रखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनके पिता आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी इस बार चुनाव प्रचार में सक्रिय रहने का मन बना चुके हैं। भले ही उनकी स्वास्थ्य स्थिति ठीन ना हो। महागठबंधन में आरजेडी की प्रमुखता के चलते तेजस्वी का सीएम उम्मीदवार होना लगभग तय है।

पिछले विधानसभा चुनाव में तेजस्वी के नेतृत्व में महागठबंधन ने एनडीए को कड़ी टक्कर दी थी। तब आरजेडी ने 75 सीटें जीती थीं। तो वहीं सहयोगियों के खाते में भी अच्छी खासी सीटें आई थीं। इस बार, तेजस्वी को उम्मीद है कि वे अपने वादों और पिछले कार्यकाल के अनुभव के आधार पर मतदाताओं का समर्थन हासिल कर सकेंगे।

तेजस्वी यादव ने चुनावी प्रचार के दौरान 200 यूनिट मुफ्त बिजली, महिलाओं को 2500 रुपए मासिक सम्मान राशि और वृद्धावस्था पेंशन की राशि बढ़ाने जैसे वादे किए हैं। उनका मानना है कि ये योजनाएं मतदाताओं के बीच सकारात्मक प्रभाव डालेंगी। लेकिन, नीतीश कुमार की राजनीतिक कुशलता और प्रशांत किशोर की चुनौती उनके लिए बड़ी समस्या बन सकती है।

विधानसभा चुनाव 2023 बिहार में महागठबंधन और एनडीए के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद है। तेजस्वी यादव की कोशिश है कि वे अपने वादों और पिछले अनुभव के आधार पर मतदाताओं का समर्थन जुटा सकें। वहीं, एनडीए की एकजुटता और नीतीश कुमार की लोकप्रियता चुनावी समीकरण को और भी दिलचस्प बना देती है।