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Up Kiran Digital Desk: जब आप किसी मोटरसाइकिल वर्कशॉप के पास से गुजरते हैं और वहां एक छोटे हाथ में भारी औजार देख लेते हैं, तो क्या आप रुकते हैं? शायद नहीं। लेकिन बिहार के मोतिहारी में एक टीम ने रुक कर न सिर्फ देखा, बल्कि उस छोटे हाथ को एक नई शुरुआत दी।
बिहार सरकार की सख्ती: बाल श्रम पर चलाया गया विशेष अभियान
श्रम संसाधन विभाग, बिहार के निर्देश पर मोतिहारी सदर के श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी के नेतृत्व में विशेष धावा दल ने मोतिहारी सदर प्रखंड क्षेत्र में बाल श्रम के खिलाफ सघन जांच अभियान चलाया।
इस जांच के दौरान एक प्रतिष्ठान—न्यू मोटरसाइकिल रिपेयरिंग वर्कशॉप—से एक नाबालिग बाल श्रमिक को मुक्त कराया गया।
कानून सख्त है, अब कार्रवाई भी तेज़ हो रही है
श्रम अधीक्षक रमाकांत ने बताया कि बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 के तहत:
बाल श्रमिक से काम कराना गैरकानूनी है।
दोषी पाए जाने पर ₹20,000 से ₹50,000 तक का जुर्माना और
दो साल तक की जेल हो सकती है।
साथ ही, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत प्रत्येक बाल श्रमिक के लिए 20,000 रुपये की वसूली नियोजक से की जाएगी।
मुक्त हुए बच्चे की सुरक्षा का ध्यान
अभियान के दौरान छुड़ाए गए बच्चे को बाल कल्याण समिति, पूर्वी चंपारण के समक्ष प्रस्तुत किया गया। इसके बाद उसे सुरक्षित तौर पर बाल गृह में रखा गया है, ताकि वह न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक और सामाजिक रूप से भी फिर से सामान्य जीवन की ओर लौट सके।
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