
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने प्राइवेट स्कूलों की बढ़ती मनमानी और बेहिसाब फीस वसूली को लेकर सख्त रुख अख्तियार किया है। मंगलवार को एक जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान उन्होंने बच्चों और उनके अभिभावकों से सीधे बातचीत की और समस्याओं को सुना। बातचीत के दौरान कई अभिभावकों ने शिकायत की कि कुछ निजी स्कूल मनमाने तरीके से फीस बढ़ा रहे हैं और विरोध करने पर बच्चों को स्कूल से निकालने की धमकी दे रहे हैं।
अनुचित फीस वृद्धि पर भेजे जा रहे नोटिस
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि उन स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने बगैर उचित कारण के फीस में भारी वृद्धि की है। जिन स्कूलों के खिलाफ अभिभावकों की ओर से शिकायतें मिली हैं, उन्हें पहले ही नोटिस जारी किया जा चुका है। अब इन स्कूलों की विस्तृत जांच की जाएगी और यदि कोई दोषी पाया गया, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही तय है।
मुख्यमंत्री का आदेश: रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाए
इस विषय पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक वीडियो साझा किया है, जिसमें वे एक जनसंवाद के दौरान अभिभावकों और बच्चों से बातचीत करते हुए नजर आ रही हैं। वीडियो में उन्होंने अधिकारियों को फोन पर सख्त निर्देश देते हुए कहा कि क्वीन मैरी स्कूल, मॉडल टाउन के प्रबंधन को सचिवालय बुलाया जाए और उन्हें सूचित किया जाए कि उनके स्कूल का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि शिक्षा के नाम पर मनमानी बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
स्कूल से निकाले गए बच्चों का मामला भी आया सामने
मुख्यमंत्री द्वारा साझा किए गए वीडियो में यह भी सामने आया कि कुछ अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल से निकालने की शिकायत की है। इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए रेखा गुप्ता ने अधिकारियों को तत्काल जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि बच्चों के अधिकारों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
बच्चों और अभिभावकों के अधिकारों की रक्षा को प्रतिबद्ध
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता, समान अवसर और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी दोहराया कि सरकार की नीति स्पष्ट है—शिक्षा के क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अनियमितता या शोषण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
हर बच्चे को मिलनी चाहिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
रेखा गुप्ता ने यह भी कहा कि सरकार का संकल्प है कि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, सम्मान और न्याय मिले। इसके लिए जो भी जरूरी कदम होंगे, वे उठाए जाएंगे। किसी भी स्कूल को यह अधिकार नहीं है कि वह शिक्षा को व्यापार का माध्यम बनाए।
यह कदम दिल्ली सरकार की ओर से शिक्षा में पारदर्शिता और बच्चों के भविष्य की रक्षा के लिए उठाया गया एक ठोस प्रयास माना जा रहा है। अब देखना यह होगा कि इन निर्देशों का पालन किस हद तक होता है और किस तरह से यह फैसले जमीनी स्तर पर असर दिखाते हैं।
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