img

Up Kiran, Digital Desk: राजधानी देहरादून में सोमवार का दिन जिलाधिकारी सविन बंसल के लिए आम दिनों से बिल्कुल अलग रहा। जनता दरबार में जैसे ही दरवाजे खुले, बुजुर्ग मां-बाप की फरियादों का सैलाब आ गया। कुल 176 शिकायतें दर्ज हुईं। ज्यादातर मामले अपने ही बच्चों से ठगे गए माता-पिता के थे। सुनकर प्रशासन के अफसर भी हैरान रह गए।

एक 93 साल का बूढ़ा बाप लाठी टेकते हुए पहुंचा। उसकी आंखों में आंसू थे। बोला, “साहब मेरी बेटी ने बैंक खाते से सारे पैसे निकाल लिए। अब मैं चल भी नहीं पाता। कहां जाऊं?” डीएम ने फौरन जांच के आदेश दे दिए।

पंडितवाड़ी की एक मां ने रोते हुए बताया कि बहू ने घर पर कब्जा जमा लिया है। अब उसे घर से निकालने की धमकी दे रही है। डीएम साहब ने भरण-पोषण कानून के तहत केस दर्ज करने को कहा।

दूसरी तरफ चन्द्रनगर की बुजुर्ग महिला का दर्द भी कम नहीं था। उसने अपनी बेटी को रहने के लिए घर दे दिया था। पति की मौत के बाद बेटी ने फर्जी कागज बनवाकर पूरा मकान अपने नाम कर लिया। अब मां सड़क पर आने की कगार पर है।

एक और महिला का छोटा बेटा पति की मौत के बाद सारी जायदाद और बैंक बैलेंस हड़प गया। वसीयत तक फर्जी बना दी। अब मां के पास खाने को भी कुछ नहीं बचा।

ये सब सुनकर जिलाधिकारी ने कई मामलों में तुरंत राहत दी। एक विधवा के मृत पति का पांच लाख का कर्जा माफ कराने के लिए बैंक को पत्र लिखा। दिव्यांग वकील की पेंशन मौके पर ही शुरू कर दी। 70 साल के एक बुजुर्ग को वृद्धावस्था पेंशन दिलवाई।

डीएम सविन बंसल ने साफ कहा कि बुजुर्गों के साथ धोखा बर्दाश्त नहीं होगा। हर मामले में सख्त कार्रवाई होगी।

जनता दरबार से बाहर निकलते हुए कई बुजुर्गों के चेहरे पर राहत थी। लेकिन ज्यादातर की आंखें अभी भी नम थीं। अपने ही बच्चों से ठगे जाने का दर्द शायद जिंदगी भर नहीं मिटेगा।

देहरादून में यह जनता दरबार एक बार फिर साबित कर गया कि आज के दौर में मां-बाप का सबसे बड़ा सहारा सिर्फ प्रशासन रह गया है।