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trump oath: डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं। यह उनकी दूसरी बार राष्ट्रपति पद संभालने की घटना होगी और शपथग्रहण समारोह वॉशिंगटन डीसी में आयोजित किया जाएगा, जिसमें कई विश्व नेता भी शामिल होंगे।
चीन, अर्जेंटीना, इटली, अल सल्वाडोर और हंगरी जैसे कई देशों के नेताओं को निमंत्रण भेजा गया है, मगर भारत के पीएम नरेंद्र मोदी का नाम इस सूची में नहीं होने से राजनीतिक चर्चाएँ शुरू हो गई हैं।
क्या नरेंद्र मोदी को निमंत्रण नहीं मिला?
पिछले साल हुए राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस को हराकर दूसरी बार सत्ता में वापसी की। चुनाव से पहले पीएम मोदी ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लिया था, जहां ट्रंप ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी से मिलने की इच्छा व्यक्त की थी। ट्रंप का मानना था कि मोदी से मुलाकात उनके चुनावी अभियान को मजबूती देगी।
अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिले, हंगरी के पीएम विक्टर ऑर्बन और इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी जैसे वैश्विक नेता ट्रंप का समर्थन कर रहे थे। मोदी से मुलाकात करने पर ट्रंप के समर्थकों और आम अमेरिकी जनता को एक महत्वपूर्ण संदेश मिलता। मगर ट्रंप की मोदी से मिलने की इच्छा के बावजूद भारत के लिए एक बड़ी दुविधा उत्पन्न हुई।
भारत-अमेरिका संबंधों पर असर 2019 में आयोजित ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम को एक बड़ी राजनीतिक गलती माना गया था। अगर मोदी ने ट्रंप से मुलाकात की होती और कमला हैरिस जीत गई होतीं, तो इससे भारत-अमेरिका संबंधों पर बुरा असर पड़ सकता था। इसी कारण मोदी और ट्रंप की मुलाकात नहीं हो पाई।
ट्रंप की नाराज़गी मोदी से मिलने से इंकार करने के कारण ट्रंप खफा हुए थे, ऐसी चर्चा उस समय थी। अब ट्रंप ने चुनाव जीत लिया है और वे 20 जनवरी को शपथ लेंगे। उन्होंने अपनी शपथग्रहण समारोह के लिए उन नेताओं को निमंत्रण भेजा है जो विचारधारा से नजदीक या चुनाव में खुला समर्थन कर चुके हैं।
भारत की संतुलित नीति इस बीच भारत सरकार के आला अफसरों के मुताबिक, ट्रंप के शपथग्रहण समारोह में भारत से कोई प्रतिनिधि नहीं जाएगा। सरकार का उद्देश्य डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखना है। भारत ने कभी भी अपने अमेरिका के संबंधों को किसी एक राजनीतिक दल तक सीमित नहीं रखा है। ट्रंप और मोदी के बीच अच्छे संबंध हैं, मगर भारत ने कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने का निर्णय लिया है।
आगे की दिशा पीएम मोदी का शपथग्रहण समारोह में शामिल न होना दीर्घकालिक प्रभाव नहीं डालेगा। चाहे ट्रंप हों या कोई अन्य नेता, भारत-अमेरिका संबंध मजबूत बने रहेंगे।