Up Kiran, Digital Desk: क्या आपने कभी सोचा है कि जब एक राष्ट्रीय घटना पर राजनीतिक दल आपस में भिड़ जाते हैं, तो बहस कितनी कड़वी हो सकती है? दिल्ली में लाल किला विस्फोट (Red Fort Blast) को लेकर एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी (PDP) प्रमुख महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने इस मामले पर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है. जवाब में भाजपा (BJP) ने पीडीपी को 'आतंकवादी समर्थक' पार्टी करार दे दिया है, जिससे राजनीतिक माहौल और गर्म हो गया है.
मुफ्ती का आरोप, भाजपा का पलटवार: आखिर क्या है ये 'लाल किला विस्फोट' विवाद?
यह विवाद लाल किला में हुए विस्फोट और उसके बाद की घटनाओं को लेकर है. हालांकि यहाँ पूरी खबर उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह समझा जा सकता है कि मुफ्ती ने इस विस्फोट को लेकर केंद्र सरकार की सुरक्षा या खुफिया विफलताओं पर सवाल उठाए होंगे, या फिर इस मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की होगी.
- महबूबा मुफ्ती के आरोप: उन्होंने सीधे तौर पर केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि इस घटना के लिए सरकार ही जिम्मेदार है, या फिर इसकी जाँच सही तरीके से नहीं हो रही है.
- भाजपा का जवाब: भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए मुफ्ती की पार्टी, पीडीपी को 'आतंकवादी समर्थक' (pro-terrorist) कहा है. यह आरोप दिखाता है कि भाजपा कितनी गंभीरता से राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करना चाहती.
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक स्थिरता और सुरक्षा एक संवेदनशील मुद्दा बनी हुई है. लाल किला एक राष्ट्रीय प्रतीक है, और उस पर हुए किसी भी हमले का मामला देश में राजनीतिक तौर पर हमेशा गरमाता रहा है.
कश्मीर की राजनीति में नया उबाल
यह बयानबाजी जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक नए उबाल का संकेत दे रही है.
- पीडीपी-भाजपा की पुरानी रंजिश: इन दोनों पार्टियों के बीच जम्मू-कश्मीर में अक्सर टकराव होता रहा है.
- आतंकवाद पर ज़ीरो टॉलरेंस: भाजपा हमेशा आतंकवाद पर ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती रही है, और वह इसे चुनावी मुद्दे के तौर पर भी उठाती है.
- घाटी की स्थिति: कश्मीर में सुरक्षा स्थिति और आतंकवाद पर ये आरोप-प्रत्यारोप और ज़्यादा राजनीति करते हुए दिखते हैं.
यह देखना होगा कि यह विवाद आगे क्या रूप लेता है, और क्या लाल किला विस्फोट मामले में और भी नए राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिलते हैं. यह दर्शाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर भारतीय राजनीति कितनी संवेदनशील हो जाती है.




