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Up Kiran, Digital Desk: पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम इस वक्त एक भयानक संकट से जूझ रहा है। यहां अफ्रीकन स्वाइन फीवर (ASF) नाम की एक जानलेवा बीमारी ने सुअर पालने वाले किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। पिछले सात महीनों के अंदर इस बीमारी ने राज्य में ऐसा कहर बरपाया है कि 9,380 सुअरों की मौत हो चुकी है, जबकि बीमारी को फैलने से रोकने के लिए 3,690 सुअरों को मारना पड़ा है।

यह बीमारी राज्य के लगभग सभी हिस्सों में फैल चुकी है, जिससे सुअर पालन पर निर्भर हजारों परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

तबाही का मंजर: 8 जिलों में फैला संक्रमण

पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, यह बीमारी इस साल फरवरी में फिर से फैलनी शुरू हुई और अब तक राज्य के 8 जिलों - आइजोल, चम्फाई, मामित, कोलासिब, सेरछिप, ख्वाजावल और हंथियाल - में अपने पैर पसार चुकी है।

अधिकारियों के मुताबिक, स्थिति की गंभीरता को देखते हुए 77 गांवों और कस्बों को 'संक्रमित क्षेत्र' घोषित किया गया है। इन इलाकों में सुअरों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। बीमारी को और फैलने से रोकने के लिए संक्रमित क्षेत्रों में स्वस्थ सुअरों को भी मारा जा रहा है, जिसे 'कल्लिंग' कहते हैं।

किसानों के आंसू पोंछने की कोशिश

सरकार प्रभावित किसानों को मुआवजा देकर उनकी मदद करने की कोशिश कर रही है। अब तक 489 परिवारों को मुआवजे के तौर पर 5.57 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं। लेकिन नुकसान इतना बड़ा है कि यह मुआवजा भी ऊंट के मुंह में जीरे के समान लग रहा है।

क्या है यह अफ्रीकन स्वाइन फीवर?

यह सुअरों में होने वाली एक बहुत ही संक्रामक और जानलेवा वायरल बीमारी है।

इस बीमारी की मृत्यु दर बहुत ज्यादा होती है, यानी जिस सुअर को यह हो जाए, उसका बचना लगभग नामुमकिन होता है।

राहत की बात यह है कि यह बीमारी इंसानों में नहीं फैलती है।

मिजोरम के लिए बना नासूर: यह पहली बार नहीं है जब मिजोरम इस बीमारी का सामना कर रहा है। 2021, 2022 और 2023 में भी इस बीमारी ने राज्य में भारी तबाही मचाई थी, जिससे हजारों सुअरों की मौत हुई थी और राज्य की अर्थव्यवस्था को करोड़ों का नुकसान हुआ था। यह बीमारी अब राज्य के लिए एक नासूर बनती जा रही है, जो हर साल लौटकर किसानों को बर्बाद कर जाती है।