
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम मामले में सख्त कदम उठाते हुए एक न्यायिक मजिस्ट्रेट को उनके पद से हटाकर अटैच कर दिया है। यह कार्रवाई एक भ्रष्टाचार की शिकायत पर की गई, जिसमें मजिस्ट्रेट पर गंभीर आरोप लगे थे।
यह मामला तब सामने आया जब एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर शिकायत की कि मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारी द्वारा मिलकर रिश्वत ली जा रही है। आरोप है कि मजिस्ट्रेट ने जानबूझकर एक मामले में गलत आदेश पारित किया और थाना प्रभारी की मिलीभगत से कानून की अनदेखी की गई।
हाईकोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत प्रभाव से मजिस्ट्रेट को न्यायिक कार्य से हटाकर प्रशासनिक कार्य में अटैच कर दिया। साथ ही कोर्ट ने संबंधित थाना प्रभारी की भूमिका की भी जांच के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया है कि थाना प्रभारी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की जाए और पूरी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाए।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि न्यायपालिका में पारदर्शिता और ईमानदारी बनाए रखना बेहद जरूरी है। यदि कोई अधिकारी अपनी शक्ति का दुरुपयोग करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, चाहे वह न्यायिक पद पर ही क्यों न हो।
इस घटनाक्रम से यह संदेश जाता है कि न्याय और कानून के सिस्टम में भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है। साथ ही यह भी स्पष्ट है कि कानून के रखवाले ही यदि गलत रास्ता अपनाएं तो उनके खिलाफ कठोर कदम उठाना अनिवार्य हो जाता है।
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