Up Kiran, Digital Desk: दिवाली की अगली सुबह दिल्लीवालों की शुरुआत जहरीली हवा और घनी धुंध के साथ हुई। राजधानी के कई हिस्सों में हवा इतनी खराब हो गई कि लोगों को सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई।
मंगलवार सुबह 8 बजे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली का औसत AQI 350 तक पहुंच गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है। आनंद विहार, दिल्ली यूनिवर्सिटी और दिलशाद गार्डन जैसे इलाकों में स्थिति और भी चिंताजनक रही, जहां AQI 360 के पार दर्ज किया गया।
हवा में जहर घोलने वाले मुख्य कारण
इस प्रदूषण के पीछे एक नहीं बल्कि कई वजहें हैं। दिवाली की रात में हुई भारी आतिशबाजी, सर्दियों की ठंडी और स्थिर हवाएं, और सबसे बड़ा योगदान — पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से उठता धुआं। ये सब मिलकर दिल्ली की हवा को जानलेवा बना रहे हैं।
पंजाब में फिर जलने लगी पराली
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक 15 सितंबर से 19 अक्टूबर के बीच राज्य में पराली जलाने के 308 मामले दर्ज किए गए हैं। एक हफ्ते पहले की तुलना में यह संख्या लगभग तीन गुना बढ़ी है।
सबसे ज्यादा मामले तरनतारन (113) और अमृतसर (104) से आए हैं। तमाम सरकारी चेतावनियों और जागरूकता अभियानों के बावजूद किसान खेतों में आग लगाना जारी रखे हुए हैं। उनका कहना है कि उनके पास रबी की बुवाई से पहले फसल अवशेष हटाने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।
कार्रवाई तो हुई, लेकिन असर नहीं
पंजाब में भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत अब तक 147 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं, जिसमें तरनतारन और अमृतसर में सबसे अधिक केस सामने आए हैं। इसके अलावा करीब 6.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जिसमें से 4.7 लाख की वसूली भी हो चुकी है।
गौरतलब है कि 2024 में अब तक पराली जलाने के 10,909 मामले सामने आए हैं, जो कि 2023 में दर्ज किए गए 36,000 मामलों की तुलना में करीब 70% कम हैं। बावजूद इसके, मौजूदा समय में इन घटनाओं का बढ़ना दिल्ली-एनसीआर की हवा पर बुरा असर डाल रहा है।




