Up Kiran, Digital Desk: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश के बाद लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) ने दावा किया था कि दीपावली तक शहरी सड़कों को गड्ढामुक्त कर दिया जाएगा। विभाग का कहना था कि 95 प्रतिशत सड़कों की मरम्मत हो चुकी है। लेकिन जब हकीकत की जांच की गई, तो तस्वीर कुछ और ही सामने आई। सरकारी आंकड़े अपनी जगह पर हो सकते हैं, मगर जमीनी स्तर पर कई सड़कें अब भी गड्ढों से भरी पड़ी हैं, और यात्री इन खतरनाक सड़कों पर सफर करने को मजबूर हैं।
मुख्यमंत्री के निर्देश थे कि दीपावली से पहले शहरों की सड़कों को पूरी तरह से ठीक किया जाए ताकि आम जनता को राहत मिले। हालांकि, लोनिवि का दावा यह था कि मरम्मत का काम 95 प्रतिशत पूरा हो चुका है, लेकिन शहरी क्षेत्रों के लोग इसके विपरीत अनुभव कर रहे हैं। शहरों में कई जगहों पर छोटे-छोटे गड्ढे बने हुए हैं, जो अब गहरे हो चुके हैं। इन गड्ढों ने सड़क यात्रा को जोखिमपूर्ण बना दिया है।
इन क्षेत्रों में गहरे गड्ढे
मसूरी का मोतीलाल नेहरू मार्ग
सीजेएम वेवरली चौक
लाइब्रेरी चौक से जीरो प्वाइंट कैंप्टी रोड तक
रुड़की के डीएवी कॉलेज रोड
ऋषिकेश के श्यामपुर, लक्कड़घाट और खदरी रोड
हरिद्वार के लक्सर, खानपुर, बहादराबाद क्षेत्र
नई टिहरी की कुछ सड़कों पर भी वाशआउट से बाधाएं
देहरादून के गांधी रोड, इंदर रोड और देहराखास इलाकों में भी गड्ढे बने हुए हैं
इन क्षेत्रों की सड़कें अब भी जख्मी हैं, और गहरे गड्ढे यात्रियों के लिए समस्या का कारण बने हुए हैं। खासकर मसूरी और ऋषिकेश जैसी जगहों पर पर्यटक भी इस समस्या से जूझ रहे हैं।
वही गड्ढे, हर साल वही परेशानी
इस बार-बार गड्ढे उखड़ने का मुख्य कारण क्या है? विशेषज्ञों के मुताबिक, सड़कों की मरम्मत के दौरान केवल सतह पर बिटुमिन डाला जाता है, जबकि नीचे की ज़मीन, यानी सब-बेस, जस की तस बनी रहती है। जब बारिश या नमी आती है, तो यह कमजोर सतह फिर से धंस जाती है और गड्ढे वापस उभर आते हैं। यह वही पुराना समाधान है जो समस्या को पूरी तरह से हल नहीं करता।




