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Up Kiran, Digital Desk: ज़िंदगी में हम सभी सहज और आरामदायक स्थितियों में रहना पसंद करते हैं। पर सच्चाई यह है कि असली विकास और अपनी वास्तविक क्षमताओं की पहचान अक्सर तब होती है जब हम असुविधाजनक परिस्थितियों का सामना करते हैं। जैसा कि कहा गया है, "असुविधा में यह दिखाने का एक तरीका है कि आप वास्तव में कितने सक्षम हैं।"

जब हम अपनी 'कंफर्ट ज़ोन' से बाहर निकलते हैं, जब हमें किसी चुनौती का सामना करना पड़ता है जो हमें बेचैन करती है, या जब परिस्थितियाँ हमारी उम्मीदों के विपरीत होती हैं, तो यही वो पल होते हैं जब हमारी असली ताकत सामने आती है। यह असुविधा हमें सोचने, अनुकूलन करने (adapt), और समस्याओं को हल करने के लिए प्रेरित करती है।

मानसिक या भावनात्मक असुविधा, किसी नई चीज़ को सीखने की शुरुआती कठिनाई, किसी प्रोजेक्ट की अनिश्चितता, या किसी व्यक्तिगत संघर्ष - यह सभी अनुभव हमें अंदर से मज़बूत बनाते हैं। जब हम ऐसी स्थितियों से भागने के बजाय उनका सामना करते हैं, तो हम सीखते हैं कि हम जितना सोचते थे, उससे कहीं ज़्यादा सहनशील, रचनात्मक और सक्षम हैं।

असुविधा हमें लचीलापन (resilience) सिखाती है। यह हमें गिरने के बाद उठना सिखाती है, योजनाएं विफल होने पर नए रास्ते खोजना सिखाती है। यह आत्म-संदेह (self-doubt) को दूर कर आत्मविश्वास को बढ़ाती है।

अगली बार जब आप किसी ऐसी स्थिति में हों जो आपको बेचैन या असहज कर रही हो, तो उसे एक नकारात्मक अनुभव के बजाय एक अवसर के रूप में देखें। यह आपकी क्षमताओं को परखने और अपनी छुपी हुई ताकत को उजागर करने का एक मौका है। असुविधा से घबराएं नहीं, उसका सामना करें। यही वह रास्ता है जो आपको आपकी असली क्षमता दिखाएगा।

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