Up Kiran, Digital Desk: दीपावली का त्योहार शहर में धूमधाम से मनाया गया, लेकिन इस बार सफाई व्यवस्था की चुनौतियां प्रमुख चर्चा का विषय बन गईं। ग्रेटर और हेरिटेज निगम ने दीपावली के दौरान शहर को साफ और स्वच्छ बनाए रखने के लिए कई योजनाएं बनाई थीं, लेकिन इनमें से कई योजनाएं धरातल पर सफल नहीं हो पाईं। दीपावली के दूसरे दिन से ही शहर की प्रमुख सड़कों और गलियों में कचरे के ढेर दिखाई देने लगे। कुत्तों, गौवंश और अन्य जानवरों द्वारा इन कचरों में घुसकर खाने की तस्वीरें आम हो गईं।
हेरिटेज निगम ने सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए थे। दीपावली के दौरान कर्मचारियों को अवकाश देने की योजना को निरस्त कर दिया गया था ताकि वे इन खास दिनों में सफाई कार्यों में जुटे रहें। इसके बदले उन्हें क्षतिपूर्ति अवकाश दिया जाएगा। इसके अलावा, निगम ने 6 दिवसीय दीपोत्सव के दौरान कंट्रोल रूम से 24 घंटे सफाई की निगरानी का दावा किया था। ज़ोन उपायुक्तों और उपायुक्त स्वास्थ्य को भी सड़कों पर सक्रिय रहने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इसके बावजूद कचरा सड़कों पर दिखाई दे रहा था।
इसके साथ ही मुख्यालय पर 18 सदस्यीय सफाई टीम भी तैनात की गई थी। विशेष सफाई व्यवस्था के लिए, पूरे हेरिटेज क्षेत्र को 37 भागों में बांटकर सफाईकर्मियों को तैनात किया गया था। इन 37 हिस्सों में कुल 78 सफाई कर्मचारी नियुक्त थे। इसके अलावा, बाजारों में अतिरिक्त सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए एक सेंट्रल टीम भी बनाई गई थी, जो किसी भी समस्या का तत्काल समाधान करती थी।
ग्रेटर निगम ने भी सफाई व्यवस्था में सुधार करने के लिए कई कदम उठाए थे। निगम का दावा था कि शहरवासियों को बेहतरीन सफाई व्यवस्था प्रदान की जाएगी, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही रही। दीपावली के दौरान कचरा प्रबंधन की व्यवस्था में कई जगहों पर खामियां दिखीं। ग्रेटर निगम द्वारा शहरभर में 725 हूपर्स और 2000 ट्रिप्स के माध्यम से कचरा संग्रहण किया जा रहा था, जबकि निगम की टीम ने हूपर्स की लोकेशन की रैंडम चेकिंग भी की और आमजन से फीडबैक लिया।

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