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Up Kiran, Digital Desk: अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर पर आज अभिजीत मुहूर्त में विशाल ध्वज फहराया जाएगा। यह ध्वज सिर्फ कपड़े का टुकड़ा नहीं बल्कि करोड़ों रामभक्तों की श्रद्धा का प्रतीक बनेगा। सूर्यदेव और कोविदार चिह्न वाला यह ध्वज 22 फुट लंबा और 11 फुट चौड़ा है। इसका वजन मात्र 2-3 किलो है लेकिन आध्यात्मिक लाभ अनगिनत हैं। पुराणों के अनुसार ध्वज लगाने वाला व्यक्ति तुरंत पापमुक्त हो जाता है और उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

अभिजीत मुहूर्त क्यों है इतना खास

यह मुहूर्त दोपहर लगभग 12 बजे शुरू होता है और करीब 48 मिनट तक रहता है। मान्यता है कि भगवान राम और भगवान कृष्ण दोनों का जन्म इसी मुहूर्त में हुआ था। इस समय किया गया कोई भी शुभ कार्य भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करता है। इसलिए राम मंदिर में भी ध्वजारोहण के लिए इसी शुभ समय को चुना गया है।

ध्वज में कौन से चिह्न और क्यों

इस बार के ध्वज पर सूर्यदेव का चिह्न और कोविदार का प्रतीक उकेरा गया है। ध्वज का दंड बांस या साखू वृक्ष का होगा जो सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला माना जाता है। जैसे ही ध्वज लहराएगा आधे पल में लगाने वाले के सारे महापाप नष्ट हो जाएंगे।

पुराणों में ध्वजारोहण का फल

नारद पुराण कहता है कि विष्णु मंदिर में ध्वज चढ़ाने से ब्रह्मा तक देवता उस व्यक्ति की पूजा करते हैं। इसका पुण्य एक हजार भार सोना दान करने के बराबर है। स्नान करना तुलसी सेवा करना या शिवलिंग पूजन करना भी इतना ही फल देता है। जो व्यक्ति ध्वज लगाता है वह जन्म-जन्म के पापों से मुक्त हो जाता है।

कैसे होती है ध्वज की पूजा

सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु का पूजन करें। चार ब्राह्मणों के साथ स्वस्तिवाचन और नांदी श्राद्ध करें। फिर गायत्री मंत्र से ध्वज और दंड का जलाभिषेक करें। ध्वज के कपड़े में सूर्य गरुड़ और चंद्रमा की पूजा होती है। दंड में धाता-विधाता का पूजन किया जाता है। हल्दी अक्षत चंदन और खासकर सफेद फूलों से पूजा पूरी की जाती है।

लाखों भक्तों के लिए खुशी का पल

देश-विदेश के रामभक्त इस पल का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि आज उनकी आस्था आसमान में लहराएगी। कई भक्त तो सुबह से ही अयोध्या पहुंच गए हैं ताकि इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बन सकें।