Up Kiran, Digital Desk: दोस्तों, देश के कई हिस्से अभी भी नक्सलवाद (Naxalism) की चपेट में हैं, और वहाँ के लोग लगातार डर और हिंसा के माहौल में जीते हैं. ऐसे इलाकों में एक नाम था माडवी हिडमा (Madavi Hidma), जो एक खूंखार नक्सली कमांडर था. आज 18 नवंबर 2025 को एक बड़ी और राहत भरी खबर सामने आई है कि आंध्र प्रदेश में हुई एक पुलिस मुठभेड़ (Police Encounter) में इसे मार गिराया गया है. यह न सिर्फ़ सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी कामयाबी है, बल्कि उन अनगिनत परिवारों के लिए भी सुकून की खबर है, जिन्होंने इसके आतंक को झेला है.
कौन था माडवी हिडमा और क्यों था इतना खतरनाक?
माडवी हिडमा माओवादी (Maoist) संगठन का एक शीर्ष कमांडर था, जो लंबे समय से सुरक्षा बलों की रडार पर था. वह छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में होने वाले नक्सली हमलों का मुख्य रणनीतिकार और मास्टरमाइंड माना जाता था. खबरों के मुताबिक, हिडमा पर 26 बड़े सशस्त्र हमलों (26 armed attacks) की जिम्मेदारी थी, जिनमें कई जवान शहीद हुए थे और निर्दोष नागरिकों की जान गई थी. इन हमलों ने बस्तर और उसके आस-पास के क्षेत्रों में भारी दहशत फैला रखी थी. उस पर कई लाख रुपयों का इनाम भी घोषित था.
कैसे मिली यह बड़ी कामयाबी?
मंगलवार, 18 नवंबर 2025 को आंध्र प्रदेश के घने जंगलों में सुरक्षा बलों (Security Forces) और नक्सलियों के बीच एक भीषण मुठभेड़ (Police-Naxal encounter) हुई. सुरक्षा बलों को हिडमा और उसके साथियों की मौजूदगी की पुख्ता जानकारी मिली थी, जिसके बाद एक ऑपरेशन चलाया गया. घंटों चली गोलीबारी के बाद सुरक्षा बलों ने हिडमा को मार गिराया. इस ऑपरेशन में कई अन्य नक्सलियों के भी हताहत होने की खबर है, और मौके से भारी मात्रा में हथियार व गोला-बारूद भी बरामद किया गया है.
सीआरपीएफ (CRPF) और राज्य पुलिस के जवान लंबे समय से हिडमा को पकड़ने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वह हर बार चकमा देने में कामयाब हो जाता था. उसकी मौत को नक्सल विरोधी अभियान (Anti-Naxal Operation) में एक बड़ी जीत माना जा रहा है.
हिडमा के खात्मे के मायने: क्या खत्म होगा आतंक?
माडवी हिडमा का यह खात्मा (Elimination of Madavi Hidma) बस्तर जैसे क्षेत्रों में नक्सलवाद को एक बहुत बड़ा झटका (Setback to Naxalism) देगा. माना जा रहा है कि उसके बाद संगठन की कमान संभालने वाला कोई दूसरा बड़ा नाम फिलहाल नहीं है, जिससे नक्सलियों के मनोबल पर बड़ा नकारात्मक असर पड़ेगा. इससे आने वाले समय में हिंसा की घटनाओं में कमी आने की उम्मीद है और विकास कार्यों को गति मिल सकेगी. यह उन सुरक्षाबलों के जवानों की शहादत का भी सम्मान है, जो हिडमा जैसे आतंकियों के कारण खोए गए. उम्मीद है कि इस कामयाबी के बाद जल्द ही पूरे क्षेत्र में शांति लौटेगी और विकास की नई इबारत लिखी जा सकेगी.

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