
पोर्ट-ऑ-प्रिंस से आई एक ताजा रिपोर्ट में हैती में मानवीय संकट के और भी भयावह होने की आशंका जताई गई है। पहले से ही हिंसा और आर्थिक बदहाली से जूझ रहे इस देश में अब भुखमरी ने विकराल रूप लेना शुरू कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र समर्थित 'एकीकृत खाद्य सुरक्षा चरण वर्गीकरण' (IPC) के विश्लेषण के अनुसार, अगर हालात नहीं सुधरे तो जून 2024 तक देश की आधी से अधिक आबादी गंभीर भुखमरी की स्थिति में पहुंच सकती है।
तेजी से बिगड़ रहे हालात
रिपोर्ट बताती है कि जहां पिछले साल गंभीर भुखमरी की चपेट में आए लोगों की संख्या 3 लाख के करीब थी, अब यह आंकड़ा बढ़कर लगभग 57 लाख तक पहुंच चुका है। यह संख्या देश की कुल जनसंख्या का लगभग आधा है। अगर समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया गया, तो ये हालात और अधिक विकराल हो सकते हैं।
इस संकट का सबसे बड़ा कारण हैती में फैलती हिंसा, आपराधिक गिरोहों की गतिविधियां और लगातार होता आर्थिक पतन है। राजधानी पोर्ट-ऑ-प्रिंस समेत कई इलाकों में आम लोगों का जीवन असुरक्षित होता जा रहा है, जिससे खाद्य आपूर्ति और सहायता वितरण पर सीधा असर पड़ा है।
आश्रय स्थलों पर भी संकट
लगभग 8,400 लोग फिलहाल अस्थायी आश्रय स्थलों में रह रहे हैं, जहां पहले भोजन और पानी की नियमित आपूर्ति होती थी। लेकिन अब वहां भी हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं। इन शिविरों में रहने वाले लोग दोहरे संकट का सामना कर रहे हैं—एक तरफ हिंसा का डर, दूसरी ओर भोजन और पानी की किल्लत।
अमेरिकी सहायता में कटौती का असर
इस संकट को और गहरा करने में फरवरी 2024 में लिए गए एक अहम अमेरिकी फैसले की भी भूमिका रही है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा 90 प्रतिशत विदेशी सहायता अनुबंधों को समाप्त कर दिया गया था। इसका सीधा असर हैती को मिलने वाली विदेशी सहायता पर पड़ा है, जिससे राहत कार्य ठप होने लगे हैं। अब इन आश्रयों और अन्य प्रभावित क्षेत्रों में मदद पहुंचना भी मुश्किल हो गया है।
रिपोर्ट में और क्या कहा गया है
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अगस्त 2024 से फरवरी 2025 तक लगभग 9.77 लाख हैती वासियों को किसी न किसी रूप में मासिक खाद्य सहायता दी गई, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण इसमें भारी कटौती करनी पड़ी। कई लोगों को मिलने वाला राशन अब आधा रह गया है।
यूनिसेफ ने भी चिंता जाहिर की है। संस्था का अनुमान है कि लगभग 28.5 लाख बच्चे इस समय गंभीर खाद्य असुरक्षा की स्थिति में हैं और अगर हालात नियंत्रित नहीं हुए, तो ये संख्या और भी बढ़ सकती है। बच्चों का कुपोषण बढ़ रहा है और इसके दीर्घकालिक प्रभाव बेहद घातक हो सकते हैं।
क्या हो सकता है आगे
हैती में हालात इतने खराब हो चुके हैं कि यदि जल्द और व्यापक अंतरराष्ट्रीय सहायता नहीं पहुंचाई गई, तो यह संकट एक मानव त्रासदी में बदल सकता है। देश की अस्थिर राजनीतिक स्थिति, अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं और लगातार बिगड़ती आर्थिक व्यवस्था इसे और जटिल बना रही हैं। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि मदद समय पर और सही जगह तक पहुंचे, वरना हैती के करोड़ों लोग आने वाले महीनों में भोजन के लिए संघर्ष करते दिखाई देंगे।