img

Up Kiran, Digital Desk: अभी जब दुनिया कोविड-19 के प्रभाव से उबरने की कोशिश कर ही रही है, एक और वायरस ने वैश्विक चिंता बढ़ा दी है—H5N1 एवियन इन्फ्लुएंजा, जिसे आम भाषा में बर्ड फ्लू कहा जाता है। यह वायरस पहले सिर्फ पक्षियों तक सीमित माना जाता था, लेकिन अब इसके डेयरी गायों और मनुष्यों तक पहुंचने की पुष्टि ने महामारी विशेषज्ञों की नींद उड़ा दी है।

अमेरिका में हाल ही में सामने आए मामलों ने इस खतरे को और बढ़ा दिया है, क्योंकि यह वायरस अब सीमित दायरे में नहीं रह गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक 995 से अधिक डेयरी गायों के झुंड और कम से कम 70 मानव मामले सामने आए हैं। इससे पहले यह वायरस मुख्य रूप से पक्षियों तक ही सीमित था।

गंभीर बात यह है कि यह वायरस मनुष्यों के बीच आसानी से नहीं फैलता, लेकिन जब फैलता है तो उसकी मृत्यु दर काफी अधिक होती है, जिससे यह एक गंभीर वैश्विक चिंता बन गया है।

क्या है H5N1 वायरस? कैसे फैलता है बर्ड फ्लू?

H5N1 एक प्रकार का एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस है जो पक्षियों में गंभीर संक्रमण पैदा करता है। लेकिन अब यह स्पष्ट हो चुका है कि यह वायरस पशुओं और इंसानों में भी फैलने की क्षमता रखता है, खासकर तब जब संक्रमित जानवरों के संपर्क में इंसान आएं।

वायरस फैलने के प्रमुख तरीके:

संक्रमित पक्षियों के मल, लार, या पंख के संपर्क में आना

अधपका या संक्रमित मांस या अंडा खाना

फार्म में काम करते वक्त सुरक्षा साधनों की कमी

पशुओं से इंसानों में वायरस का ट्रांसमिशन

विशेषज्ञों का कहना है कि अब यह वायरस मवेशियों में भी फैल चुका है, जो पहले कभी नहीं देखा गया था। यह एक नई चुनौती है क्योंकि इसका मतलब है कि वायरस अब केवल पक्षियों तक सीमित नहीं है।

 ग्लोबल वायरस नेटवर्क की चेतावनी: सरकारें रहें सतर्क

दुनियाभर के 40 से अधिक देशों के वायरस विशेषज्ञों के संगठन ग्लोबल वायरस नेटवर्क (GVN) ने दुनिया की सभी सरकारों से तत्काल सतर्कता और कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने खास तौर पर अमेरिका में H5N1 के तेजी से फैलने को लेकर चिंता जताई है।

LANCET जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में GVN ने कहा:
"अमेरिका में डेयरी गायों और इंसानों में H5N1 का संक्रमण बढ़ने से महामारी की संभावना काफी हद तक बढ़ गई है।"

GVN की यह चेतावनी कोविड-19 के बाद का एक और वैश्विक अलर्ट है, जिसे अनदेखा करना भविष्य में बहुत महंगा साबित हो सकता है। उनका कहना है कि जब तक वैक्सीन, ट्रैकिंग सिस्टम और जागरूकता अभियान नहीं चलाए जाएंगे, तब तक यह वायरस एक बड़े खतरे में तब्दील हो सकता है।

 वायरस का इतिहास: कहां से आया और कैसे पहुंचा यहां तक?

H5N1 वायरस की पहली पहचान 1996 में चीन के गीज में हुई थी। शुरू में यह केवल मुर्गियों और जंगली पक्षियों में पाया गया था, लेकिन 2003 के बाद से यह इंसानों में भी सामने आने लगा।

अब तक का इतिहास कुछ इस प्रकार रहा है:

1996: चीन में पहली बार वायरस की पुष्टि

2003-2004: थाईलैंड और वियतनाम में मानव मामलों की शुरुआत

2013: चीन में पहली बार मानव मृत्यु दर्ज

2025: अमेरिका में मवेशियों और इंसानों में संक्रमण का पहला बड़ा मामला

इस वायरस की खास बात यह है कि यह मानव-से-मानव फैलाव में सीमित है, लेकिन जिन लोगों को यह संक्रमित करता है, उनमें मृत्यु दर करीब 60% तक देखी गई है। यानी अगर यह वायरस म्यूटेट होकर इंसानों में आसानी से फैलने लगा, तो यह एक बेहद खतरनाक महामारी बन सकता है।

 लक्षण और बचाव: क्या आप तैयार हैं?

H5N1 से संक्रमित होने के लक्षण सामान्य फ्लू जैसे ही होते हैं, लेकिन इनमें तेज़ी और जटिलता अधिक होती है। इसमें शामिल हैं:

तेज़ बुखार और कंपकंपी

खांसी और गले में दर्द

सांस लेने में तकलीफ और निमोनिया

शरीर में दर्द और थकान

कभी-कभी उल्टी और दस्त

बचाव के तरीके:

पक्षियों और पशुओं से सीधा संपर्क कम करें

चिकन और अंडों को अच्छी तरह से पकाकर खाएं

फार्म में काम करने वाले लोग मास्क और दस्ताने ज़रूर पहनें

किसी भी असामान्य लक्षण पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें

स्वास्थ्य एजेंसियों और सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करें

H5N1 के खिलाफ फिलहाल कोई व्यापक वैक्सीन नहीं है, इसलिए सावधानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।

--Advertisement--