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हाल के दिनों में ईरान-इज़राइल के बीच तनाव बढ़ गया है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से ज्यादातर मुस्लिम-बहुल देश ईरान का समर्थन नहीं कर रहे है। इसके पीछे कई बड़ी वजहें हैं:

1. धार्मिक-राजनीतिक मतभेद

ईरान शिया-प्रधान देश है, जबकि ज्यादातर मुस्लिम देश सुन्नी हैं। शिया और सुन्नियों के बीच सांप्रदायिक विरोध आज भी गहरा बना हुआ है  । इस वजह से ईरान की लड़ाई में अन्य मुसलमान देश शामिल होने को प्राथमिकता नहीं दे रहे।

2. अमन और आर्थिक स्थिरता की चाह

सऊदी अरब, UAE जैसे खाड़ी देशों की प्राथमिकता घरेलू विकास और आर्थिक सुरक्षा है। वे किसी भी बड़े संघर्ष द्वारा उत्पन्न अनिश्चितता से बचना चाहते हैं  । इसलिए वे सैन्य हस्तक्षेप या खुली लड़ाई से दूरी बना रहे हैं।

3. अमेरिका और इज़राइल के साथ रिश्ते

खाड़ी के कई देशों ने अमेरिका और इज़राइल के साथ करीबी सुरक्षा सहयोग बनाए रखा है। इनमें से अधिकांश ईरान के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठाने को नहीं तैयार  । अमेरिका की मौजूदगी और सुरक्षा गारंटी उनकी नीति को प्रभावित करती है।

4. युद्ध से बचने की रणनीति

बहरैन, जॉर्डन और कुवैत जैसे देश सक्रिया तौर पर आग बबूला नहीं हुए और उन्होंने कहा कि वे क्षेत्रीय शांति और कूटनीतिक समझौतों पर भरोसा करते हैं  । वे किसी अहम संघर्ष से खुद को दूर रखना चाहते हैं।

5. क्षेत्रीय गठबंधन और सामान्य रणनीति

इज़राइल और अरब देशों के बीच अब कई सांझे आर्थिक और सुरक्षा हित सामने आ चुके हैं (जैसे अब्राहम समझौते)। इनमें ईरान के खिलाफ सीधे समर्थन देना साझेदारों की नीति के खिलाफ होगा  ।
इस कारण मुस्लिम विश्व में विभाजन सा नजर आता है — कुछ देश ईरान पर भरोसा नहीं कर रहे, जबकि कुछ चुप्पी बनाए हुए हैं।

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