Up kiran,Digital Desk : हल्द्वानी के सोबन सिंह जीना बेस अस्पताल की बदहाली अब किसी से छिपी नहीं है। एक तरफ मरीज इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं, तो दूसरी तरफ अस्पताल की अव्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। लेकिन मंगलवार को नजारा कुछ बदला हुआ था। अस्पताल की हालत देखकर सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का सब्र जवाब दे गया और उन्होंने सीएमओ (CMO) को भरी भीड़ में अल्टीमेटम दे डाला।
आइए, जानते हैं कि मंत्री जी ने ऐसा क्या देखा कि उन्हें कहना पड़ा—"व्यवस्था सुधारो, वरना तबादले के लिए तैयार रहो।
हल्द्वानी का सोबन सिंह जीना बेस अस्पताल, कुमाऊं के सबसे अहम अस्पतालों में से एक है, लेकिन आजकल यह 'इलाज' से ज्यादा अपनी 'बदइंतजामी' के लिए चर्चा में है। मंगलवार को जब प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत यहां औचक निरीक्षण (Surprise Inspection) के लिए पहुंचे, तो उन्हें वही दिखा जो यहां का आम मरीज रोज झेलता है—अव्यवस्था और लापरवाही।
हालात देखकर मंत्री जी का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने सीधे तौर पर सीएमओ को चेतावनी दे दी कि अगर अगले 10 दिनों में व्यवस्थाएं ठीक नहीं हुईं, तो उनका तबादला कर दिया जाएगा। यह बयान बताता है कि सरकार अब कोताही बरतने के मूड में नहीं है।
बंद पड़ा आईसीयू 5 दिसंबर को खुलेगा
मंत्री जी एक सहकारिता मेले से सीधे अस्पताल पहुंचे थे। उन्होंने सबसे पहले आईसीयू (ICU) का जायजा लिया जो कि बंद पड़ा था। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए और ऐलान किया कि 5 दिसंबर को हर हाल में इसका उद्घाटन हो जाना चाहिए, ताकि गंभीर मरीजों को इधर-उधर न भटकना पड़े। उन्होंने इमरजेंसी और दूसरे वार्डों में जाकर मरीजों का हाल-चाल भी जाना।
अधिकारियों के दावे और जमीनी हकीकत
सीएमओ डॉ. हरीश चंद्र पंत ने सफाई दी कि खराब लिफ्ट के लिए बजट मिल चुका है और जल्द ही काम शुरू होगा। वे सुधार के प्रयास कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि प्रयास कब तक पूरे होंगे? क्योंकि जनता तो रोज परेशान हो रही है।
असलियत: मंत्री जी, यह भी देखिए...
भले ही मंत्री जी ने निर्देश दे दिए हों, लेकिन अस्पताल की समस्याएं बहुत गहरी हैं:
- डेढ़ साल से सीटी स्कैन ठप: पिछले डेढ़ साल से यहां सीटी स्कैन की मशीन खराब पड़ी है। सड़क चौड़ीकरण में वह कमरा भी टूट गया जहां मशीन लगी थी। नतीजा यह है कि मरीजों को या तो सुशीला तिवारी अस्पताल जाना पड़ता है या फिर निजी लैब में जाकर अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है। अफसर कभी बजट का रोना रोते हैं तो कभी प्रस्ताव भेजने का बहाना बनाते हैं।
- मजबूरी में सीढ़ियां चढ़ते डायलिसिस मरीज: अस्पताल में दो लिफ्ट लगी हैं, लेकिन दोनों ही 2 साल से खराब हैं। सोचिए, एक किडनी का मरीज जो डायलिसिस कराने आया है, उसे भूतल से पहली मंजिल तक सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है। यह किसी सजा से कम नहीं है।
- खंडहर बनती इमारत: बेस अस्पताल की बिल्डिंग जगह-जगह से टूट रही है। कहीं प्लास्टर गिर रहा है तो कहीं सीलन आ रही है। मरम्मत का काम कछुए की चाल से चल रहा है।
अब देखना यह होगा कि मंत्री जी की 10 दिन की डेडलाइन का अधिकारियों पर कोई असर होता है या फिर मामला 'ढ़ाक के तीन पात' ही रहता है।
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