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दुबई: यमन में हूती विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाकों पर एक बार फिर से जबरदस्त हवाई हमले हुए हैं। इन हमलों में अब तक कम से कम छह लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 30 अन्य घायल हुए हैं। यह जानकारी हूती प्रशासन की ओर से सोमवार को दी गई। हालांकि, इन ताजा हमलों की पुष्टि अमेरिका की सेंट्रल कमान ने नहीं की है।

हवाई हमलों की पृष्ठभूमि

हूतियों के खिलाफ अमेरिकी कार्रवाई की शुरुआत करीब एक महीने पहले हुई थी, जब हूती विद्रोहियों ने अंतरराष्ट्रीय जलमार्गों में जहाजों को निशाना बनाना शुरू किया। अमेरिका ने इसे वैश्विक नौवहन के लिए खतरा मानते हुए सैन्य जवाब देना शुरू किया। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब हूतियों के ठिकानों पर हमले हुए हों, लेकिन इस बार की कार्रवाई विशेष रूप से घातक मानी जा रही है।

अब तक 120 से ज्यादा मौतें

हूती नियंत्रित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक हुए अमेरिकी हमलों में 120 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। वहीं, हूती समर्थक समाचार चैनल ‘अल-मसीरा’ ने जो फुटेज जारी किए हैं, उसमें दमकलकर्मी एक फैक्ट्री में लगी आग पर काबू पाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। सड़क पर मलबा बिखरा है और बचावकर्मी घायलों को बाहर निकालते दिखाई दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि हमला राजधानी सना के बानी मातर इलाके में एक चीनी मिट्टी के कारखाने पर हुआ।

समुद्री जहाजों को निशाना बना रहा हूती समूह

हूती विद्रोहियों ने हाल के महीनों में पश्चिम एशिया के समुद्री क्षेत्र में व्यावसायिक जहाजों को निशाना बनाया है। इन हमलों का एक बड़ा कारण इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष बताया जा रहा है। हूतियों ने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी थी कि यदि गाजा में हिंसा नहीं रुकी, तो वे जलमार्गों में व्यापारिक जहाजों पर हमले तेज करेंगे। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने इस चेतावनी को गंभीरता से लेते हुए हूती ठिकानों पर लगातार हमले शुरू कर दिए।

हूती विद्रोही कौन हैं?

हूती समूह, जिसे अंसार अल्लाह के नाम से भी जाना जाता है, यमन का एक प्रभावशाली शिया मुस्लिम विद्रोही संगठन है। यह संगठन यमन के उत्तर में स्थित सादा प्रांत से उभरा था और 1990 के दशक में इसका गठन हुआ। शुरुआत में यह एक धार्मिक और सामाजिक आंदोलन के रूप में काम कर रहा था, लेकिन धीरे-धीरे इसने राजनीतिक और सैन्य ताकत हासिल कर ली। 2014 में इस समूह ने यमन की राजधानी सना पर कब्जा कर लिया और इसके बाद से देश में गृहयुद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है।